

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड 19) की महामारी से निपटने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के दौर में केंद्र की नरेंद्र मोदी नीत सरकार और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के बीच लगातार जारी तनातनी को राज्य में एक वर्ष बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक राजनीतिक कवायद के रूप में भी देखा जा रहा है।
कोलकाता: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड 19) की महामारी से निपटने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के दौर में केंद्र की नरेंद्र मोदी नीत सरकार और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के बीच लगातार जारी तनातनी को राज्य में एक वर्ष बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक राजनीतिक कवायद के रूप में भी देखा जा रहा है।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी को झटका मिलने के एक साल बाद ही कोरोना वायरस की महामारी से राज्य में निर्मित असाधारण परिस्थिति के बीच उनकी सरकार को आम लोगों से जुड़ने का अवसर मिला है और राज्य प्रशासन इस मौके पर काफी सक्रिय हो चुका है।
दूसरी तरफ कुछ वर्षों से पश्चिम बंगाल में अपनी जड़ें जमाने को आतुर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का राजनीतिक ग्राफ 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद नि:संदेह बढ़ा है और अगले विधानसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में ममता के किले को ढहाने के लिए अब नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी का कृतसंकल्प भी नजर आ रहा है।
कोरोना वायरस की महामारी फैलने की शुरुआत से ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य में इस बीमारी के परीक्षण और केंद्र की ओर से दोषपूर्ण जांच किटों की आपूर्ति का आरोप लगाते हुए मोदी सरकार को घेरने में लगी है। सुश्री बनर्जी ने लॉकडाउन लागू करने में विलंब और हवाई अड्डों को बंद किये जाने की कार्रवाई में देर किये जाने को लेकर केंद्र को जिम्मेदार ठहराया है।
केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के परीक्षण स्तर और 13.2 प्रतिशत की मृत्यु दर को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार की कई बार आलोचना की , वहीं कोरोना संक्रमण से निपटने की तैयारियों, कमजोर निगरानी और संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के उल्लंघन की जांच के लिए राज्य के दौरे पर आए केंद्रीय टीम को लेकर मुख्यमंत्री ने रोष जताया। (वार्ता)
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