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एसटीईएम शिक्षा पर पैनल चर्चा सीखने का अधिक व्यवहारिक दृष्टिकोण देती है

विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) शिक्षा पर पैनल चर्चा के दौरान इसमें शामिल प्रतिभागियों ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में आधुनिक बदलाव के साथ गति बनाए रखने के लिए भारतीय स्कूलों में बच्चों के सीखने के तरीके में उच्च व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाए जाने की आवश्यकता है। पढ़िए डाईनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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एसटीईएम शिक्षा पर पैनल चर्चा सीखने का अधिक व्यवहारिक दृष्टिकोण देती है

कोलकाता: विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) शिक्षा पर पैनल चर्चा के दौरान इसमें शामिल प्रतिभागियों ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में आधुनिक बदलाव के साथ गति बनाए रखने के लिए भारतीय स्कूलों में बच्चों के सीखने के तरीके में उच्च व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाए जाने की आवश्यकता है।

कोलकाता में अमेरिका की महावाणिज्य दूत मेलिंडा पावेक, एडम्स विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरंजन दास एवं अन्य ने सोमवार को पैनल चर्चा में भाग लिया। चर्चा का आयोजन अमेरिकी वाणिज्य दूतावास और बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स ने किया था।

पावेक ने कहा कि पैनल चर्चा का उद्देश्य वैश्विक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए वैश्विक विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं गणित (एसटीईएम) शिक्षा की समीक्षा करना था।

उन्होंने शैक्षिक परिदृश्य में बदलाव का हवाला देते हुए कहा कि वैश्विक जरूरतों और आवश्यकताओं के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए सुधार की जरूरत है।

पावेक ने कहा कि वृहद सहयोगी उद्यमों के लिए एसटीईएम शिक्षा में और अधिक कॉलेजों को शामिल किया जा सकता है।

जाने माने इतिहासकार और यादवपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति दास ने एसटीईएम पर आधारित शिक्षा की जरूरत पर बात करते हुए बच्चों को शुरुआत में ही व्यावहारिक विज्ञान-आधारित शिक्षा से जोड़ने के लिए अधिक उद्योग-अकादमिक संपर्क की वकालत की।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं जेयू का कुलपति था तो छात्रों ने उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर एक नवोन्मेषी वेंटीलेटर इजाद किया था। मैंने अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के जरिए इसके लिए पेटेंट हासिल करने में मदद के प्रयास के तहत कोलकाता में हर वाणिज्य संघ को पत्र लिखा। आखिर में एक विदेशी विश्वविद्यालय हमारे छात्रों की मदद के लिए आगे आया और उनके आविष्कार का पेटेंट हो पाया।’’

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