निठारी कांड: निठारी कांड के फैसले से पीड़ित परिजन निराश, न्याय के लिए रखेंगे लड़ाई जारी

डीएन ब्यूरो

गौतमबुद्ध नगर में वर्ष 2006 के कुख्यात निठारी कांड मामले के मुख्य आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को विभिन्न आरोपों से बरी किए जाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले से पीड़ितों के परिजन मायूस हैं। कई परिजनों का कहना है कि उनके बच्चों को 17 साल बाद भी न्याय नहीं मिला, इसलिए वे न्याय हासिल करने के लिए अब आगे की रणनीति तय पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

निठारी कांड के फैसले से  पीड़ित परिजन निराश
निठारी कांड के फैसले से पीड़ित परिजन निराश


नोएडा: गौतमबुद्ध नगर में वर्ष 2006 के कुख्यात निठारी कांड मामले के मुख्य आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को विभिन्न आरोपों से बरी किए जाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले से पीड़ितों के परिजन मायूस हैं। कई परिजनों का कहना है कि उनके बच्चों को 17 साल बाद भी न्याय नहीं मिला, इसलिए वे न्याय हासिल करने के लिए अब आगे की रणनीति तय करेंगे।

इस हत्याकांड की शिकार महिलाओं, बच्चों और बच्चियों के ज्यादातर परिजन नोएडा छोड़कर अपने-अपने पैतृक गांव वापस जा चुके हैं और केवल चार लोग ही अब नोएडा में रह रहे हैं।

निठारी गांव के रहने वाले अशोक ने कहा कि वह इस आदेश से काफी आहत हैं। मूल रूप से नोएडा के ही रहने वाले अशोक के साढ़े पांच साल के बेटे की इस कांड में कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी।

अशोक ने कहा कि आरोपी ताकतवर और पैसे वाले हैं जबकि वह गरीब हैं, इसलिए उनके साथ न्याय नहीं हुआ।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इस कांड में जान गंवाने वाली एक लड़की के पिता झब्बू लाल ने कहा कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले से काफी आहत हैं। उन्होंने कहा कि सुरेंद्र कोली ने पुलिस के सामने बच्चियों की हत्या करने और उनसे बलात्कार करने की बात स्वीकार की थी।

पीड़ित पप्पू का कहना है कि उच्च न्यायालय के इस फैसले से वह विचलित हैं, लेकिन न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे। पप्पू की नाबालिग बेटी की कथित तौर पर बलात्कार के बाद हात्या कर दी गई थी।

यह भी पढ़ें | नोएडा: महिला के साथ दुष्कर्म का आरोपी गिरफ्तार

इसी तरह रामकिशन की नाबालिग बेटी की भी कथित तौर पर दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। रामकिशन ने कहा कि न्यायालय के आदेश की प्रतियां जब उन्हें मिलेंगी तो वह अपने वकील की सहायता से इसका अध्ययन करने के बाद आगे की रणनीति तय करेंगे।

निठारी कांड के पीड़ितों के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाले 85 वर्षी सतीश चंद्र मिश्रा उच्च न्यायालय के इस निर्णय से काफी आहत हैं। सामाजिक कार्यकर्ता मिश्रा ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि गरीब लोगों के साथ न्याय नहीं हुआ है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई ने इस मामले में ठीक तरीके से पैरवी नहीं की। उन्होंने कहा कि पंढेर और सुरेंद्र कोली, दोनों ने अपना-अपना अपराध स्वीकार किया था। मिश्रा सीबीआई से इतने नाराज दिखे कि उन्होंने कहा कि किसी भी मामले की सीबीआई जांच नहीं होनी चाहिए।

मिश्रा ने कहा की निठारी कांड में जिनके बच्चे मारे गए थे, वह लोग काफी गरीब हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादातर पीड़ितों के परिजन बेरोजगार हो जाने के चलते नोएडा छोड़कर अपने-अपने पैतृक गांव जा चुके हैं।

मिश्रा ने कहा कि अदालत के निर्णय के बाद निठारी कांड के पीड़ितों के परिजनों के साथ वह बैठक करके आगे की रणनीति तय करेंगे।

इससे पूर्व गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने कोली और पंढेर पर लड़कियों से दुष्कर्म और हत्या के आरोप तय करते हुए उन्हें मृत्यु दंड की सजा सुनाई थी।

यह भी पढ़ें | Noida: बाहुबली मुख्तार अंसारी के नाम पर मांग रहे दो करोड़ रुपये, मामला दर्ज

कुख्यात निठारी कांड वर्ष 2005 और 2006 के बीच घटित हुआ था, लेकिन यह तब सुर्खियों में आया जब दिसंबर, 2006 में नोएडा के निठारी स्थित एक मकान के पास नाले में मानव कंकाल पाए गए थे। मोनिंदर पंढेर उस मकान का मालिक था और कोली उसका नौकर था।

इसके पहले इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने सुरेंद्र कोली के खिलाफ हत्या, अपहरण, दुष्कर्म और साक्ष्यों को नष्ट करने के लिए 16 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किया था, जबकि पंढेर के खिलाफ अनैतिक मानव तस्करी के लिए आरोपपत्र दाखिल किया था।

नोएडा के सेक्टर 31 स्थित कोठी संख्या डी-5 में तब रहने वाले मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली पर नौ बच्चियों, दो बच्चों और पांच महिलाओं को घर में बुलाकर यौन शोषण करने तथा उनकी हत्या कर शव को टुकड़े-टुकड़े कर नाले में बहाने का आरोप लगा था।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को बड़ी राहत देते हुए सोमवार को बरी कर दिया। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एस एच ए रिजवी की पीठ ने कोली और पंढेर की अपील पर यह आदेश पारित किया। उच्च न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे अपने मामले को सिद्ध करने में विफल रहा।










संबंधित समाचार