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Navjot sidhu surrender: सिद्धू को आत्मसमर्पण से मोहलत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई तत्काल सुनवाई की गुहार

उच्चतम न्यायालय ने पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं अंतरराष्ट्रीय पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के आत्मसमर्पण के लिए कुछ सप्ताह की मोहलत देने की मांग संबंधी याचिका पर शीघ्र सुनवाई की गुहार शुक्रवार को ठुकरा दी। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Navjot sidhu surrender: सिद्धू को आत्मसमर्पण से मोहलत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई तत्काल सुनवाई की गुहार

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं अंतरराष्ट्रीय पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के आत्मसमर्पण के लिए कुछ सप्ताह की मोहलत देने की मांग संबंधी याचिका पर शीघ्र सुनवाई की गुहार शुक्रवार को ठुकरा दी। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सिद्धू की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया।

सिद्धू ने मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष विशेष पीठ द्वारा शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई थी। इससे पहले न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के 'विशेष उल्लेख' पर कहा था कि उसके समक्ष यह मामला आता है तो वह इस पर विचार करेगी।

न्यायमूर्ति खानविलकर ने मोहलत मांगने की अर्जी पर कहा, “औपचारिक आवेदन करें और सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष के समक्ष गुहार लगाएं, फिर हम विचार करेंगे।”

श्री सिंघवी ने गुरुवार को नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल कठोर कारावास की सजा सुनाने वाले न्यायमूर्ति खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सिद्धू को कुछ सप्ताह की मोहलत देने की गुहार लगाई थी। श्री सिंघवी ने कहा था कि सिद्धू आत्मसमर्पण करने को तैयार हैं, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याओं के चलते उन्हें तीन-चार सप्ताह की मोहलत की दी जाए।

पंजाब सरकार के वकील ने सिद्धू की मोहलत मांगने की अर्जी का विरोध किया। वकील ने कहा अपराध हुए 34 साल बीतने का मतलब यह नहीं है कि वह समाप्त हो गया। अब फैसला सुनाया गया है और उन्हें फिर से तीन से चार हफ्ते का समय चाहिए। सिंघवी ने अदालत के समक्ष कहा, “मैं ( नवजोत सिंह) सरेंडर कर दूंगा। विचार करना आपका विवेकाधिकार है।”

वर्ष 1988 में पंजाब के पटियाला में एक सड़क पर चलने को लेकर हुए विवाद पर 65 साल के कार चालक गुरनाम सिंह से मारपीट की गई थी। इस मामले में दोषी नवजोत सिंह सिद्धू की सजा शीर्ष अदालत ने कल बढ़ा दी। सिद्धू को एक साल कठोर कारावास का फैसला सुनाया गया था।

मृतक गुरनाम सिंह के परिजनों की पुनर्विचार याचिका पर शीर्ष अदालत ने अपने 2018 के फैसले पर पुनर्विचार करते हुए कल फैसला सुनाया था। वर्ष 2018 में शीर्ष अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के तहत दोषी सिद्धू को 1000 रुपये के आर्थिक दंड पर छोड़ दिया था। इस फैसले को शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका के तहत चुनौती दी गई थी और सजा बढ़ाने की गुहार लगाई गई थी। (यूनिवार्ता)

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