महराजगंज: भगीरथ प्रयास ने बदला गंडक नदी का रूप, दूर-दूर तक लगे टेट्रापॉड, जानिये इसके लाभ
भारत-नेपाल को जोड़ने वाली गंडक नदी पर पहली बार किसी विदेशी नदी के तट पर सिचाई विभाग द्वारा टेट्रापॉड लगाये गये हैं। जानिए डाइनामाइट न्यूज पर इसकी खासियतें
महराजगंज: जनपद के सिंचाई विभाग ने भारत-नेपाल को जोड़ने वाली बड़ी नदी बी-गैप को नई पहचान देने में सफलता अर्जित की है। भारत सरकार के सहयोग से सिंचाई विभाग ने नदी के तटबंध पर करोड़ों की लागत से एक किलोमीटर तक के क्षेत्र में टेट्रापॉड लगाये हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार नेपाल से भारत आने वाली नदी बी-गैप के लगभग एक किलोमीटर तक एक टेट्रा पॉड का निर्माण कराया गया है। यह निर्माण फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किया गया है।
इसके लगने से नदियों के फायदे
नेपाल राष्ट्र स्थित गंडक नदी के बी-गैप नदी के तट पर टेट्रापॉड लगने से बरसात के मौसम में लगातार नदियों की कटान रुक जाएगी। साथ ही साथ नदी की संरचना भी सुरक्षित रहेगी और नेपाल राष्ट्र में स्थित बी-गैप नदी के तट पर इस प्रोजेक्ट के लगने से बाढ़ का भी खतरा कम होगा।
केंद्र की मदद से 350 करोड़ की लागत से लगा टेट्रापॉड
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भारत-नेपाल को जोड़ने वाली नेपाल राष्ट्र में स्थित बी-गैप नदी के तट पर लगा यह ट्रेटा पॉड केंद्र सरकार की मदद से चार महीने पहले लगभग 350 करोड़ की लागत से लगाया है जो अभी 250 पीस ही लग पाए है अभी फिलहाल में एक किलोमीटर तक ही लगाया गया है सुविधा को देखते हुए आगे भी लगाया जाएगा।
किसी विदेशी नदी पर पहली बार भारत ने लगाए यह टेट्रा पॉड
अब तक इस तरह के टेट्रापॉड सिर्फ समुद्री तटों पर लगाए जाते थे और पहली बार गंडक नदी के तट पर नेपाल राष्ट्र भारतीय जनो के सुरक्षा के लिए यहां पर भी लगाए गए है।
दो महीने से चल रहा कार्य
गंडक नदी के बी–गैप पर लगे यह टेट्रा पॉड को लगाने के लिए लगभग दो महीने का समय लगा है इसको लगाने के लिए आंध्र प्रदेश की कंपनी को काम दिया गया था।
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जानिए क्या है टेट्रापॉड
एक टेट्रापॉड तटवर्ती अपवाह और मौसम से समुद्र तटों पर उत्पन्न होने वाली लहरों को कमजोर करने वाले बजरी और पत्थरों से बने ठोस के रूप को कहते हैं। ये सामान्यतः समुद्र पर दीवारें और पानी रोकने के लिए काम में लिये जाते हैं। टेट्रापॉड को कंक्रीट से बनाया जाता है और लहरों को रोकने के लिए इनकी संरचना चतुष्फलकी होती है।
बोले अधिशासी अभियंता
इस संबंध में सिचाई विभाग के अधिशासी अभियंता राजीव कपिल ने डाइनामाइट न्यूज से बातचीत के दौरान बताया कि इस प्रोजेक्ट के लगने से नदियों के कटान और बाढ़ जैसीतमाम समस्याओं से निजात मिलेगी। फिलहाल अभी एक ही किलोमीटर तक लगाया गया है आगे भी काम जल्द ही शुरू हो जायेगा।