महराजगंज: नवरात्र पर शक्तिपीठ लेहड़ा मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब, श्रद्धालुओं की भारी भीड़, जानिये लेहड़ा वाली मां की अपार महिमा

डीएन ब्यूरो

महराजगंज जनपद के फरेंदा स्थित आद्रवन लेहड़ा वाली मां की अपार महिमा पाने के लिये नवरात्र पर यहां दूर-दूर से श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है। डाइनामाइट न्यूज़ में जानिये शक्तिपीठ लेहड़ा मंदिर की महिमा



फरेंदा (महराजगंज): शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध लेहड़ा मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। मां के दरबार में श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते है। वैसे तो यहां पूरे वर्ष भक्तों का तांता लगा रहता है। लेकिन नवरात्र के मौके पर यहां आज आस्था का भारी सैलाब उमड़ पड़ा है। लोग माता के दर्शन के लिये सुबह से लंबी कतार में खड़े हैं।

माना जाता है कि सच्चे मन से जो भी श्रद्धालु माता से जो भी कुछ भी मांगता है, उसकी मन्नतें जरूरी पूरी होती हैं। 

मान्यता के मुताबिक पांडवों ने अज्ञातवास के समय की थी मंदिर की स्थापना 

फरेन्दा तहसील मुख्यालय से आठ किमी दूर स्थित लेहड़ा देवी मंदिर के संबंध में कई किवदंतियां है। पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने अज्ञातवास के समय की थी। मान्यता के अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने इसी स्थान पर यक्ष के प्रश्नों का सही उत्तर देकर अपने चारों भाईयों को पुनर्जीवित किया था। बाद में पांचों भाइयों ने यहां पीठ की स्थापना कर पूजा अर्चना शुरू की। 

नवरात्र पर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ 

ऐतिहासिक तथ्यों पर गौर करें तो चीनी यात्री ह्वेन सांग ने भी अपने यात्रा वृत्तांत में इस देवी स्थल का उल्लेख किया है। गौतम बुद्ध की माता माया देवी कोलिय गणराज्य की कन्या थीं। बुद्ध का बाल्यकाल इन्हीं क्षेत्रों में व्यतीत हुआ। 

बुजुर्गो की मानें तो एक दिन लेहड़ा स्थित सैन्य छावनी के अधिकारी (लगड़ा साहब) शिकार खेलते हुए मंदिर परिसर में पहुंच गए। यहां पर भक्तों की भीड़ देख कर उन्होंने देवी की पिण्डी पर गोलियों की बौछार शुरू कर दी। कुछ ही देर में वहां खून की धारा बहने लगी। खून देख कर भयभीत अंग्रेज अफसर वापस कोठी की तरफ आ रहे थे कि घोड़े सहित उनकी मृत्यु हो गई। उस अंग्रेज अफसर की कब्र मंदिर के एक किमी पश्चिम में स्थित है। इस घटना के बाद लोगों की आस्था लेहड़ा देवी के प्रति और बढ़ गई। 










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