महराजगंज: 72 घंटे से कम बचे नामांकन में, नही बंटी भाजपा की टिकट, दावेदार परेशान, नेता भूमिगत
महराजगंज जिले में नगर पालिका की दो और नगर पंचायत की पांच सीटों पर अध्यक्ष और सभासद के लिए चुनाव होने हैं। अधिकतर पार्टियों ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिये है, लेकिन भाजपा इसमें पिछड़ती नज़र आ रही है। आखिर क्यों? पूरी तहकीकात डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में..
महराजगंज: नामांकन का समय समाप्त होने में 72 घंटे से भी कम का समय बचा है लेकिन 'पार्टी विद डिफरेंस' का नारा देन वाली सत्तानसीन भाजपा एक भी टिकट जिले में अब तक नही बांट पायी है।
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जिले में नगर पालिका की दो और नगर पंचायत की पांच सीटों पर चुनाव होने हैं। 10 नवंबर नामांकन की आखिरी तारीख है।
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लखनऊ से लेकर महराजगंज तक टिकट के दावेदार भाग-दौड़ मचाये हुए हैं लेकिन कहीं से कोई ठोस जवाब नही मिल रहा है। आज सुबह करीब दस बजे डाइनामाइट न्यूज़ ने भाजपा के जिला कार्यालय का दौरा किया तो वहां जिलाध्यक्ष को कौन कहे एक अदद पदाधिकारी तक नही दिखा। पार्टी कार्यालय पर खाली कुर्सियां बता रही थीं कि टिकट बंटवारे के बाद संभावित हंगामे के डर से जिम्मेदार पदाधिकारी कार्यालय से दूर रहने में ही भलाई समझ रहे हैं। जिले का इतिहास ऐसा रहा है कि पार्टी के टिकट के बाद जमकर हंगामा हुआ है। इस बार भी इसके प्रबल आसार हैं।
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सांसद की भूमिका सबसे अहम
कई दावेदारों ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि सांसद और विधायक कई दिनों से जिले से बाहर हैं। खबर यह है कि सांसद अपने किसी निजी कार्य से नेपाल की यात्रा पर कई दिनों से थे। जानकार यह भी कह रहे हैं कि यह यात्रा टिकट दावेदारों से पिंड छुड़ाने के लिए है। सांसद से जुड़े सूत्र यह दावा कर रहे हैं कि उनकी भूमिका सिर्फ पैनल बनाकर दावेदारों के नाम को लखनऊ भेजने तक है और असली निर्णय लखनऊ से होगा। जब हमारे संवाददाता ने इसकी पड़ताल की तो ये साफ हुआ कि ये महज दिखावटी बातें हैं। सांसद ही निर्णायक भूमिका में है क्योंकि इस समय उनकी प्रदेश संगठन पर मजबूत पकड़ है। यही नही सिसवा को छोड़ सभी विधायक सांसद खेमे के ही हैं, इसके अलावा जिलाध्यक्ष भी सांसद गुट के हैं। मतलब साफ है जिले में सांसद की पसंद को कोई चुनौती देने वाला नही है ऐसे में जिस नाम को वे हरी झंडी देंगे, प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडेय उस पर अपनी चिड़िया बैठा देंगे।
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