आजादी के आंदोलन से जुड़ा लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब बंद होगा, जानिये इसकी खास बातें

डीएन ब्यूरो

आजादी के आंदोलन के दौरान वीके कृष्ण मेनन सहित कई अन्य राष्ट्रवादियों के लिए बैठक के अड्डे के रूप में काम करने वाला लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब खुद को बंद किए जाने के खिलाफ वर्षों से जारी कानूनी लड़ाई हार गया है, जिसके चलते उस पर अगले महीने ताला लटक जाएगा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

ऐतिहासिक इंडिया क्लब
ऐतिहासिक इंडिया क्लब


लंदन: आजादी के आंदोलन के दौरान वीके कृष्ण मेनन सहित कई अन्य राष्ट्रवादियों के लिए बैठक के अड्डे के रूप में काम करने वाला लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब खुद को बंद किए जाने के खिलाफ वर्षों से जारी कानूनी लड़ाई हार गया है, जिसके चलते उस पर अगले महीने ताला लटक जाएगा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार लंदन में स्ट्रैंड मार्ग के बीचोंबीच स्थित इंडिया क्लब के प्रोपराइटर ने कुछ साल पहले इस ऐतिहासिक बैठक स्थल और भोजनालय को ढहाए जाने के खिलाफ लड़ाई जीत ली थी, लेकिन अब इमारत के मालिकों ने इसकी जगह एक आलीशान होटल बनाने के वास्ते उन्हें नोटिस भेजा है।

प्रोपराइटर यादगार मार्कर और उनकी बेटी फिरोजा ने क्लब का अस्तित्व बनाए रखने के अपने संघर्ष के तहत ‘सेव इंडिया क्लब’ मुहिम शुरू की थी। हालांकि, इमारत के मालिकों से नोटिस मिलने के बाद उन्होंने क्लब को बंद करने की घोषणा की है।

यादगार और फिरोजा ने कहा, “हम बहुत दुखी मन से इंडिया क्लब को बंद करने की घोषणा करते हैं। इसे 17 सितंबर को आखिरी बार आम लोगों के लिए खोला जाएगा।”

इंडिया क्लब की जड़ें इंडिया लीग से जुड़ी हुई हैं, जिसने ब्रिटिश हुकूमत से भारत की आजादी के लिए ब्रिटेन में अभियान चलाया। क्लब के संस्थापक सदस्यों में कृष्ण मेनन भी शामिल थे, जो आगे चलकर ब्रिटेन में भारत के पहले उच्चायुक्त बने थे।

स्ट्रैंड मार्ग पर 1946 में एक भारतीय रेस्तरां के रूप में स्थापित इंडिया क्लब 26 कमरों वाले स्ट्रैंड कॉन्टिनेंटल होटल की पहली मंजिल पर स्थित है। यह ग्राहकों को दशकों से बटर चिकन और मसाला डोसा जैसे भारतीय पकवान परोस रहा है और लंदन में बसे एशियाई समुदायों के दिलों में खास जगह रखता है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ऐतिहासिक इंडिया क्लब से अपने पत्रकार पिता चंद्रन थरूर के जुड़ाव को देखते हुए सोशल मीडिया पर इसे बंद करने की घोषणा पर दुख जताया।

उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “इसके संस्थापकों में से एक के बेटे के रूप में, मैं उस स्थल को बंद करने के फैसले पर दुख व्यक्ति करता हूं, जिसने लगभग तीन-चौथाई शताब्दी तक इतने सारे भारतीयों (और न केवल भारतीयों) की सेवा की।”










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