Vasant Panchami 2020: जानिए क्यों मनाया जाता है ये त्योहार, क्या करने से मिलेगा आपको लाभ

रानी टिबड़ेवाल

वसंत पंचमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत सहित कई देशों में बड़े उल्लास से मनाई जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण करती हैं। डाइनामाइट न्यूज़ पर जानिए इस दिन से जुड़ी खास बातें और क्यों मानाया जाता है ये त्योहार...

जानिए वसंत पंचमी का महत्व
जानिए वसंत पंचमी का महत्व


नई दिल्लीः वसंत पंचमी का पर्व इस साल  29 जनवरी दिन बुधवार को मनाया जाएगा। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, बसंत पंचमी का त्योहार माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है जो कि इस बार 29 जनवरी 2020 को है। जानें आखिर क्यों मानाया जाता है ये त्योहार और क्या होता है इस दिन खास।

इस दिन सरस्वती माँ की प्रतिमा की पूजा की जाती हैं उन्हें कमल पुष्प अर्पित किये जाते हैं। इस दिन वाद्य यंत्रो और पुस्तकों की भी पूजा की जाती हैं। इस दिन पीले वस्त्र पहने जाते हैं। 

इस दिन पहने जाते हैं पीले कपड़े

खेत खलियानों में भी हरियाली का मौसम होता हैं यह उत्सव किसानों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस समय खेतों में पीली सरसों लहराती हैं। किसान भाई भी फसल के आने की ख़ुशी में यह त्यौहार मनाते हैं।

दान: दान का भी बहुत महत्व होता हैं वसंत पंचमी के समय अन्न दान, वस्त्र दान का महत्व होता हैं आजकल सरस्वती जयंती को ध्यान में रखते हुए गरीब बच्चो की शिक्षा के लिए दान दिया जाता हैं। इस दान का स्वरूप धन अथवा अध्ययन में काम आने वाली वस्तुओं जैसे किताबे, कॉपी, पेन आदि होता हैं।

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गरबा नृत्य: वसंत पंचमी पर गुजरात प्रान्त में गरबा करके माँ सरस्वती का पूजन किया जाता हैं यह खासकर किसान भाई मनाते हैं यह समय खेत खलियान के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता हैं। 

मां सरस्वती(फाइल फोटो)

पश्चिम बंगाल में भी इस उत्सव की धूम रहती हैं यहाँ संगीत कला को बहुत अधिक पूजा जाता हैं इसलिए वसंत पंचमी पर कई बड़े- बड़े आयोजन किये जाते हैं जिसमे भजन, नृत्य आदि होते हैं।

काम देव और देवी रति की पौराणिक कथा का भी महत्व वसंत पंचमी से जुड़ा हुआ हैं इसलिए इस दिन कई रास लीला उत्सव भी किये जाते हैं।

वसंत में पतंग बाजी: यह प्रथा पंजाब प्रान्त की हैं जिसे महाराणा रंजित सिंह ने शुरू किया था। इस दिन बच्चे दिन भर रंग बिरंगी पतंगे उड़ाते हैं और कई जगहों पर पतंग की प्रतियोगिता भी की जाती है। 

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इस दिन की जाती है पतंजबाजी

वसंत सूफी त्यौहारः ये पहला ऐसा त्योहार है जिसे हिंदूओं के साथ-साथ मुस्लमान भी मनाते हैं। अमीर खुसरों जो कि सूफी संत थे उनकी रचानाओं में वसंत की झलक मिलती हैं। एतिहासिक प्रमाण के अनुसार वसंत को जाम औलिया की बसंत, ख्वाजा बख्तियार काकी की बसंत के नाम से जाना जाता हैं।

वसंत शाही स्नान: वसंत ऋतू में पवित्र स्थानों, तीर्थ स्थानों के दर्शन का महत्व होता हैं। जिस कारण इस दिन लोग प्रयाग त्रिवेणी संगम पर भी भक्तजन स्नान के लिए जाते हैं।

वसंत मेलाः वसंत के उत्सवों में कई स्थानों पर मेला भी लगाया जाता है। पवित्र नदियों के तट, तीर्थ स्थानों और पवित्र स्थानों पर यह मेला लगता हैं जहां देशभर के भक्तजन एकत्र होते हैं।










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