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Jitiya Vrat 2022: महराजगंज जिले में महिलाओं ने संतान की दीर्घायु के लिए रखा जितिया व्रत, नहाय खाय के साथ निर्जला उपवास, जानिये इसका महत्व

महराजगंज जिले में महिलाओं ने संतान की दीर्घायु के लिए रखे जाने वाले जितिया व्रत की शुरूआत की। नहाय खाय के साथ महिलाओं ने निर्जला उपवास शुरू किया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Jitiya Vrat 2022: महराजगंज जिले में महिलाओं ने संतान की दीर्घायु के लिए रखा जितिया व्रत, नहाय खाय के साथ निर्जला उपवास, जानिये इसका महत्व

लक्ष्मीपुर (महराजगंज): संतान की दीर्घायु के लिए रखे जाने वाले जितिया व्रत को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह देखने को मिला। जिले के लक्ष्मीपुर व आसपास के क्षेत्रों में ये पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार रविवार को नहाय खाय के साथ माताओं ने जितिया व्रत की शुरुआत की। अश्विनी मास की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत रखा जाता है।

जितिया व्रत में महिलाएं निर्जला उपवास रख कर अपनी संतान की दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य व सुख सौभाग्य की कामना करती हैं।

जितिया व्रत की कथा और पारण

इस व्रत की शुरुआत और पारण दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। व्रत की शुरुआत नहाय खाय के साथ होता है। व्रत के शुरू में महिलाएं सुबह सरगी खाती हैं। इसके बाद शाम को अग्रदेव भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा के साथ जीमूतवाहन की कथा सुनती हैं। खीरा, चना, पेड़ा, धूप की माला, लौंग, इलाइची, पान-सुपारी सहित अन्य सामग्रियां अपने-अपने विधान अनुसार अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद पारण में इस दिन मडुआ की रोटी के साथ-साथ नोनी साग और सात प्रकार की सब्जी बनाने की भी परंपरा है।

जीवित्पुत्रिका व्रत की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत के युद्ध में जब द्रोणाचार्य का वध कर दिया गया तो उनके पुत्र आश्वत्थामा ने क्रोध में आकर ब्राह्रास्त्र चल दिया, जिसकी वजह से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहा शिशु नष्ट हो गया। तब भगवान कृष्ण ने इसे पुनः जीवित किया। इस कारण इसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया। तभी से माताएं इस व्रत को पुत्र की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं।

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