बढ़ानी हो समझ तो जरूर पूछिये सवाल, जानिये भौतिक विज्ञान किस तरह सही सवालों को पूछने पर निर्भर है?
जब मैंने भौतिकी में स्नातक की पढ़ाई शुरू की थी तो मैं अक्सर एक सवाल सुनता था कि ‘‘समस्त का सिद्धांत क्या है’’? इसका उपयोग एक लेबल के रूप में किया गया था कि कैसे भौतिक विज्ञानी हमारे ब्रह्मांड के प्रारंभिक निर्माण खंडों और उनकी गतिशीलता को नियंत्रित करने वाले बलों की गहरी समझ विकसित करने की कोशिश कर रहे थे। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
मैनचेस्टर: जब मैंने भौतिकी में स्नातक की पढ़ाई (करीब 20 साल पहले) शुरू की थी तो मैं अक्सर एक सवाल सुनता था कि ‘‘समस्त का सिद्धांत क्या है’’? इसका उपयोग एक लेबल के रूप में किया गया था कि कैसे भौतिक विज्ञानी हमारे ब्रह्मांड के प्रारंभिक निर्माण खंडों और उनकी गतिशीलता को नियंत्रित करने वाले बलों की गहरी समझ विकसित करने की कोशिश कर रहे थे।
लेकिन क्या यह एक अच्छा प्रश्न है? क्या यह वैज्ञानिकों को उन खोजों की दिशा में मार्गदर्शन करने में सहायक है जो हमारी समझ को अगले स्तर तक आगे बढ़ाएगी? अंतत: अच्छा विज्ञान अच्छे प्रश्न पूछने पर निर्भर करता है।
यकीनन, सवाल ‘‘समस्त का सिद्धांत क्या है? हमें याद दिलाता है कि अच्छे विज्ञान की शुरुआत सबसे अच्छे प्रश्नों से नहीं होती है। मैं अपनी बात का आशय आपको समझाता हूं।
मान लीजिए हम एक खेल खेल रहे हैं। मेरे पास ताश की एक गड्डी है और प्रत्येक कार्ड पर एक अलग जानवर का नाम और तस्वीर छपी है। मैं एक कार्ड चुनता हूं और आपका काम यह पता लगाने के लिए प्रश्न पूछना है कि मैंने कौन सा जानवर चुना है। बेशक, एक समझदार सवाल पूछने के लिए, आपको पहले जानवरों के बारे में कुछ जानना होगा।
पहली बार जब आप खेलते हैं, तो हो सकता है कि आप इस बात से परिचित न हों कि कार्ड में कौन से जानवर हैं, और आपका पहला सवाल हो सकता है कि ‘‘क्या यह समुद्र में रहता है?’’। मेरा उत्तर ‘‘नहीं’’ है और खेल जारी है।
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फिर कार्ड लेने की बारी आपकी है। आप अपनी पसंद के लिए पत्तों पर ध्यान से देखते हैं, और आपको पता चलता है कि इसमें केवल जमीन पर रहने वाले जानवर शामिल हैं। ‘‘क्या यह समुद्र में रहता है?’’ शुरू करने के लिए एक अच्छा सवाल लग रहा था, लेकिन ऐसा नहीं था।
अब बारी बदलती है और जितना अधिक हम खेलते हैं, उतनी ही तेजी से हमें पता चलता है कि कौन सा कार्ड चुना गया है। क्यों? क्योंकि हम अच्छे प्रश्न पूछने में बेहतर हो गए हैं।
वैज्ञानिक अनुसंधान में प्रश्नों की भूमिका समान होती है। हम समझ के कुछ स्तर से शुरू करते हैं, और हम उस स्तर की समझ के आधार पर प्रश्न पूछते हैं ताकि इसे सुधारने का प्रयास किया जा सके। जैसे-जैसे हमारी समझ बढ़ती है, हम अपने प्रश्नों को परिष्कृत करते हैं और अधिक व्यावहारिक उत्तर प्राप्त करते हैं।
इस प्रकार प्रगति होती है। ‘‘समस्त का सिद्धांत क्या है?’’ पूछने के बारे में भी यही बात सच है। एक वैज्ञानिक प्रश्न की अच्छाई अपरिवर्तनीय नहीं है।
‘समस्त का सिद्धांत’ क्यों?
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पार्टिकल भौतिकी का मानक मॉडल, आधुनिक विज्ञान के स्तंभों में से एक है और इस विचार की सफलता पर निर्भर है कि चीजों को छोटे भागों में तोड़कर समझाया जा सकता है।
इस मॉडल को गणितीय भाषा में क्वांटम फील्ड थ्योरी लिखा जाता है। यह बताता है कि कैसे प्राथमिक कण घूमते हैं और एक दूसरे के साथ संयोजन करते हैं। यह चार ज्ञात मूलभूत बलों में से तीन की प्रकृति की व्याख्या करता है। इनमें विद्युत चुंबकत्व, उप-परमाणु मानकों पर प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने वाले कमजोर और मजबूत बल हैं। इनमें चौथा बल गुरुत्वाकर्षण शामिल नहीं है।
यह मॉडल क्वांटम मेकेनिक्स पर आधारित है जो उप-परमाणु तत्वों की गतिशीलता की संभाव्य प्रकृति को और आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को वर्णित करती है। यह बताता है कि जब सापेक्षिक गति प्रकाश की गति के करीब हो तो क्या होता है। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।
‘‘समस्त का सिद्धांत क्या है?’’ पूछने के पीछे धारणा यह है कि मानक मॉडल एक दिन एक बड़ी संरचना (अधिक तात्विक अवयवों के साथ) के भीतर सन्निहित पाया जाएगा जो हमें गुरुत्वाकर्षण सहित मूलभूत बलों की एकीकृत व्याख्या प्रदान करेगा।
लेकिन यह प्रश्न कि ‘‘समस्त का सिद्धांत क्या है?’’ इस बारे में बहुत कम मार्गदर्शन देता है कि इस तरह का सिद्धांत कैसा दिख सकता है। हमें कुछ और बेहतर प्रश्नों की जरूरत है।