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महराजगंजः सर्वाधिक राजस्व देने के बाद आज भी अंग्रेजों के निर्मित भवन में चल रहा आबकारी आफिस

सर्वाधिक राजस्व देने वाला आबकारी विभाग आज भी जनपद में ब्रिटिश हुकूमत की याद दिला देता है। विभाग का ऑफिस आज भी किराये पर चल रहा है। पढें डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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महराजगंजः सर्वाधिक राजस्व देने के बाद आज भी अंग्रेजों के निर्मित भवन में चल रहा आबकारी आफिस

महराजगंजः कोविड काल में सरकार की कार्यप्रणाली को लडखडाने से बचाने में अपना अहम रोल अदा करने वाले आबकारी विभाग (Excise Department) की सुधि लेने वाला आज कोई नहीं है। सबसे ज्यादा राजस्व (Revenue) देने वाला आबकारी विभाग आज भी किराये पर चल रहा है।

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महराजगंज जनपद (Maharajganj District) वर्ष 1915 से अंग्रेजों के समय में बनाई गई बिल्डिंग में आबकारी विभाग का संचालन किया जा रहा है। वर्ष 1992 में तत्कालीन परमहंस सिंह बघेल, आबकारी निरीक्षक महराजगंज द्वारा इस बिल्डिंग में कुछ कार्य कराए गए थे, इसके बाद से आज विभाग का यह पूरा प्रांगण बदहाली का दंश झेलने को विवश है।

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डाइनामाइट न्यूज (Dynamite News) की टीम ने विभाग का स्थलीय निरीक्षण किया तो काफी चैंकाने वाले तथ्य निकलकर सामने आए। बता दें कि 15 अगस्त 2022 को आबकारी भवन का जीर्णोद्वार (Renovation) किया गया। इसके बाद से आज तक आबकारी आफिस (Excise Office) का हाल बेहाल पडा हुआ है। 


जर्जर कमरे में गुजर रही इंस्पेक्टर की रातें 
आबकारी विभाग के कर्मचारियों के लिए आज तक आवास का कोई ठोस प्रबंध नहीं किया गया है। एक इंस्पेक्टर (Inspector) के लिए आफिस के अंदर एक जर्जर कमरे में इनके ठहरने का प्रबंध है। जहां इन्हें भय के साए में रात गुजारने को विवश होना पडता है। 

गोदाम पर रंगाई का अभाव
आबकारी विभाग के परिसर में ही एक बडा शराब स्टाक के लिए गोदाम बनाया गया है। यह भवन भी काफी जर्जर पडा हुआ है और रंगाई पुताई न होने से इसकी दशा काफी जीर्ण-शीर्ण हो गई है। 

दीवारों की दिखाई दे रही ईंट
दीवारों की पटिटयां उखड गई हैं और ईंट दिखाई देने लगी है। इससे कभी भी एक ईंट खिसकी तो पूरी इमारत का क्या होगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। 

सबको गर्म रखने वाला विभाग ठंडेहाल

कोरोना काल में जब अर्थव्यवस्था लडखडाई थी तो सरकार को इसे सुधारने में आबकारी विभाग की याद आई थी। कोरोना महामारी में कर्मचारियों ने अपने स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए सरकार को हरसंभव सहयोग प्रदान किया।

आज इन कर्मचारियों के आवास, आफिस और व्यवस्थाओं की सुधि लेने वाला दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा है। 

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