नेपाल की पूर्व राष्ट्रपति भंडारी का विवादित बयान, भारत के इन क्षेत्रों को बताया नेपाल का अभिन्न अंग

डीएन ब्यूरो

नेपाल की पूर्व राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने एक बार फिर कहा कि कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाल का अभिन्न अंग हैं और इसे लेकर भारत के साथ जो भी विवाद है, उसे कूटनीतिक तरीके से सुलझाया जाना चाहिए। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

नेपाल की पूर्व राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी
नेपाल की पूर्व राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी


काठमांडू: नेपाल की पूर्व राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने एक बार फिर कहा कि कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाल का अभिन्न अंग हैं और इसे लेकर भारत के साथ जो भी विवाद है, उसे कूटनीतिक तरीके से सुलझाया जाना चाहिए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार भंडारी ने 'नेपाली टेरेटरी लिम्पियुधुरा' नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर यह बात कही। यह पुस्तक अच्युत गौतम और सुरेंद्र के.सी ने लिखी है।

उन्होंने कहा कि मित्र देशों से नेपाल के राष्ट्रीय हित और सुरक्षा में पारस्परिकता की अपेक्षा करना स्वाभाविक है।

भंडारी ने कहा, ‘‘ कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाल के अभिन्न अंग हैं। नेपाल को कूटनीति के जरिए भारत के साथ सीमा विवाद का यह मसला सुलझाना चाहिए। ’’

गौरतलब है कि नेपाल समय-समय पर इन तीनों क्षेत्रों को अपना हिस्सा बताकर यह मामला उठाता रहा है।

काठमांडू में भारतीय दूतावास ने पहले कहा है कि नेपाल के साथ अपने सीमा मुद्दे पर भारत की स्थिति “सुविदित, सुसंगत और स्पष्ट है। इसकी सूचना नेपाल सरकार को दे दी गई है”।










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