

आंध्र प्रदेश सीआईडी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय एजेंसियों से मीडिया जगत के प्रमुख उद्यमी रामोजी राव द्वारा स्थापित मार्गदर्शी चिटफंड कंपनी की जांच करने का अनुरोध किया है जिसपर चिटफंड कानून का उल्लंघन कर कंपनी की नकदी जमा रिकॉर्ड से ‘छेड़छाड़ करने व गलत जानकारी’ देने का आरोप है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: आंध्र प्रदेश सीआईडी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय एजेंसियों से मीडिया जगत के प्रमुख उद्यमी रामोजी राव द्वारा स्थापित मार्गदर्शी चिटफंड कंपनी की जांच करने का अनुरोध किया है जिसपर चिटफंड कानून का उल्लंघन कर कंपनी की नकदी जमा रिकॉर्ड से ‘छेड़छाड़ करने व गलत जानकारी’ देने का आरोप है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अपर पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) एन संजय ने संवाददाताओं को बताया कि मार्गदर्शी चिटफंड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने कथित तौर पर ‘भारतीय रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना’ नकदी जमा की और निवेशकों से जमा कराई गई राशि को ‘जोखिम भरे स्टॉक बाजार’ में लगाया। उन्होंने बताया कि इस कंपनी के मालिक तेलुगु समाचार समूह ‘इनाडु’ के अध्यक्ष रामोजी राव हैं।
हालांकि, कंपनी के अधिकारियों ने किसी गलत कार्य में संलिप्त होने से इनकार किया है।
संजय ने कहा कि सीआईडी को संदेह है कि चिटफंड कंपनी में निवेश करने वाले ‘‘एक ही तरह के लोग या संदिग्ध’हैं। उन्होंने बताया कि मामले में शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है लेकिन नियमों के उल्लंघन के मामले में राज्य सरकार ‘मूकदर्शक’ नहीं रह सकती है।
अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के प्रमुख ने आरोप लगया कि चिट फंड कंपनी ने अपना लेखा जोखा चिटफंड अधिनियम 1982 के तहत न जमा कराकर कंपनी अधिनियम के तहत जमा कराया और राज्य सीआईडी का मानना है कि यह अनियमितता है क्योंकि सार्वजनिक धन की देखरेख निजी कंपनी द्वारा की जा रही थी।
एडीजी ने बताया कि उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग और गंभीर कपट अन्वेषण कार्यालय (एसएफआईओ) को मामले की जांच के लिए लिखा है।
गौरतलब है कि सीआईडी ने मामले में समूह के खिलाफ सात प्राथमिकी दर्ज की है और पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं, रामोजी राव व उनकी बहू शैलजा किरण से एजेंसी ने पूछताछ की।
आंध्र प्रदेश सीआईडी ने बताया कि उसने कंपनी, उसके प्रवर्तकों और प्रबंधकों के खिलाफ राज्य के स्टैंप और पंजीकरण आयुक्त और महानिरीक्षक की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया जिसमें मार्गदर्शी समूह द्वारा ‘नियमों का उल्लंघन’ करने का आरोप लगाया गया था।
संजय ने बताया कि राज्य की 17 चिटफंड कंपनियां सीआईडी जांच के दायरे में हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1961 में स्थापित मार्गदर्शी कपंनी की आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में कुल 108 शाखाएं हैं और वित्तवर्ष 2021-22 के दौरान केवल आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ही उसका कुल कारोबार 9,677 करोड़ रुपये का था।
सीआईडी प्रमुख ने संवाददाताओं को बताया कि जब कंपनी के लेखापरीक्षक से चेक से किए गए भुगतान के बारे में पूछा गया तो वह जांचकर्ताओं को संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए और जानकारी मिली कि दिए आंकड़ों में छेड़छाड़ की गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘ क्या हो रहा है इसको लेकर लेखापरीक्षक का लचर रवैया था...उक्त कृत्य का स्पष्ट उत्तर नहीं था कि चिटफंड अधिनियम (1982) का अनुपालन क्यों नहीं किया जा रहा है।’’
संजय से जब पूछा गया कि क्या जमाकर्ताओं ने राशि के नुकसान की शिकायत की है तो उनका जवाब ‘न’ था। हालांकि, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ‘मूकदर्शक’ बनी नहीं रह सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे क्या जनता के सरकार के सामने व्यथा सुनाने तक इंतजार करना चाहिए कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है? सरकार पूरी तरह से नुकसान होने तक इंतजार नहीं कर सकती।’’ सीआईडी प्रमुख ने कहा कि मार्गदर्शी कंपनी ने ‘आर्थिक अपराध’ किया है।
इस बीच, कंपनी के अधिकारियों ने आरोप लगाया कि सीआईडी की कार्रवाई मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी नीत सरकार की ओर से करवाई जा रही है जो ‘लगातार रामोजी समूह पर हमला कर रही है क्योंकि मुख्यमंत्री मानते हैं कि इनाडु ‘पक्षपातपूर्ण’ तरीके से खबरें कवर कर रही है।
उन्होंने कहा कि किसी वास्तविक निवेशक ने समूह के खिलाफ शिकायत नहीं की है जो गत छह दशक से काम कर रहा है।
कंपनी के अधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार गलत तरीके से उनके खिलाफ आंध्र प्रदेश जमाकर्ता सुरक्षा एवं वित्तीय संस्थान अधिनियम के तहत कार्रवाई कर रही है जो उन पर लागू ही नहीं होता।
उन्होंने कहा कि चिटफंड अधिनियम 1982 ‘स्व नियामक प्रणाली’ की सुविधा देता है और राज्य सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है।
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