सदन भंग करने के खिलाफ दायर याचिकाएं सुनने के लिए नेपाल के प्रधान न्यायाधीश ने संविधान पीठ बनाई
नेपाल के प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा ने राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा भंग करने के खिलाफ दायर 30 रिट याचिकाओं पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के गठन के लिए उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों को चुना है। मीडिया में शुक्रवार को आई एक खबर में यह जानकारी दी गई।
काठमांडू: नेपाल के प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा ने राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा भंग करने के खिलाफ दायर 30 रिट याचिकाओं पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के गठन के लिए उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों को चुना है। मीडिया में शुक्रवार को आई एक खबर में यह जानकारी दी गई।
संवैधानिक मामलों संबंधी विवाद को निपटाने के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का प्रावधान है।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सलाह पर संसद के निचले सदन को भंग करने की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के 22 मई के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में करीब 30 याचिकाएं दर्ज की गई हैं।
काठमांडू पोस्ट की खबर के मुताबिक नव गठित पीठ में न्यायमूर्ति दीपक कुमार कार्की, आनंद मोहन भट्टाराई, तेज बहादुर केसी और बाम कुमार श्रेष्ठ के अलावा प्रधान न्यायाधीश शामिल होंगे।
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उच्चतम न्यायालय के संचार विशेषज्ञ किशोर पोडेल ने अखबार को बताया, “प्रधान न्यायाधीश राणा ने वरिष्ठतम न्यायाधीशों को शामिल कर पीठ का गठन किया है।”
उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश के अलावा वर्तमान में 13 वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।
ऐसी 19 याचिकाओं पर शुरुआती सुनवाई प्रधान न्यायाधीश राणा नीत पीठ ने बृहस्पतिवार को की थी। एकल पीठ ने इसपर आगे की सुनवाई के लिए दायर रिट याचिकाओं को संविधान पीठ को भेज दिया है।
कुछ याचिकाकर्ताओं ने सदन भंग करने और राष्ट्रीय बजट प्रस्तुत करने के लिए सदन की बैठक बुलाए जाने के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित करने की मांग की है। राणा ने इससे इनकार कर दिया।
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संवैधानिक प्रावधान के मुताबिक, सरकार को 29 मई तक संघीय बजट प्रस्तुत करना ही होगा।
चूंकि कोई संसद है नहीं इसलिए सरकार अध्यादेश के जरिए बजट लाने की योजना बना रही है।
राष्ट्रपति भंडारी ने 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को पांच महीनों में दूसरी बार शनिवार को भंग कर दिया और प्रधानमंत्री ओली की सलाह पर 12 नवंबर और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की है।(भाषा)