एमनेस्टी एफसीआरए ‘उल्लंघन’ मामले में सीबीआई ने पूरक आरोपपत्र दायर किया

डीएन ब्यूरो

नयी दिल्ली:  केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित एफसीआरए उल्लंघनों के मामले में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और उसके तत्कालीन कार्यकारी निदेशक आकार पटेल के खिलाफ जांच के सिलसिले में एक पूरक आरोपपत्र दायर किया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

सीबीआई
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नयी दिल्ली:  केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित एफसीआरए उल्लंघनों के मामले में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और उसके तत्कालीन कार्यकारी निदेशक आकार पटेल के खिलाफ जांच के सिलसिले में एक पूरक आरोपपत्र दायर किया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक समझा जाता है कि आरोपपत्र में सीबीआई ने अन्य निदेशकों और हस्ताक्षरकर्ताओं की भूमिका के बारे में विवरण दिया है।

एजेंसी ने एआईआईपीएल और पटेल के खिलाफ यहां एक विशेष अदालत में सात जनवरी 2022 को अपनी पहली रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके 23 महीने बाद पूरक आरोपपत्र दायर किया गया है।

एजेंसी ने अपनी हालिया पूरक रिपोर्ट में पटेल, एआईआईपीएल, इंडियंस फॉर एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट (आईएआईटी), एआईआईपीएल के तत्कालीन निदेशक शोभा मथाई, नंदिनी आनंद बसप्पा, मीनार वासुदेव पिंपले, एआईआईपीएल के परिचालन प्रमुख मोहन प्रेमानंद मुंडकुर और इसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता राज किशोर कपिल सहित आठ कंपनियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 की धारा 11 (1), 35 और 39 (2) के तहत आरोपपत्र दायर किया है ।

पहली रिपोर्ट के बाद सीबीआई की दलीलों को देखते हुए विशेष अदालत ने एजेंसी को अन्य निदेशकों की भूमिका की जांच करने और एक पूरक अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था।

विशेष अदालत ने कहा था, ‘‘अभियोजन यह साबित करने के लिए कंपनी के हस्ताक्षरकर्ताओं और निदेशकों के बयानों पर भरोसा कर रहा है कि आरोपी (पटेल) कंपनी के मामलों का प्रभारी था। अनुबंध पर हस्ताक्षर करने वालों और कंपनी के निदेशकों की भूमिका की जांच नहीं की गई है।’’

अधिकारियों ने अदालत के समक्ष पिछले हफ्ते दायर किये गये पूरक आरोपपत्र में कहा कि एजेंसी ने अपनी प्राथमिकी के आरोपों की पुष्टि की है।

अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने आरोप लगाया है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल (यूके) ने 24 सितंबर 2015 को एआईआईपीएल में 10 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिसे ‘अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर (सीसीडी)’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था और इसे बहीखाते और आयकर रिटर्न में ‘‘दीर्घकालिक उधार’’ के रूप में दिखाया गया था। उन्होंने कहा कि ये रुपये सावधि जमा में रखे गये थे।

एजेंसी ने कहा कि आईएआईटी ने कथित तौर पर 10 करोड़ रुपये की सावधि जमा के आधार पर 14.25 करोड़ रुपये की ‘ओवरड्राफ्ट’ सुविधा हासिल की। इसमें कहा गया कि आईएआईटी ने इन धनराशि का इस्तेमाल एआईआईपीएल के खर्चों के भुगतान के लिए किया था।

एआईआईपीएल, आईएआईटी, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईआईएफटी), एमनेस्टी इंटरनेशनल साउथ एशिया फाउंडेशन (एआईएसएएफ) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने और पांच नवंबर 2019 को गृह मंत्रालय की एक शिकायत के बाद सीबीआई जांच शुरू की गयी थी।

 










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