बिलकीस बानो मामला: न्यायालय ने आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने संबंधी दोषियों की याचिका खारिज की

गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकीस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को 21 जनवरी तक आत्मसमर्पण करना होगा, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने के अनुरोध संबंधी उनकी याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 19 January 2024, 7:10 PM IST
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नयी दिल्ली: गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकीस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को 21 जनवरी तक आत्मसमर्पण करना होगा, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने के अनुरोध संबंधी उनकी याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक  न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि दोषियों द्वारा बताये गये कारणों में कोई दम नहीं है।

दोषियों ने आत्मसमर्पण के लिए और समय दिये जाने का अनुरोध करते हुए बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।

उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को आठ जनवरी को रद्द कर दिया था और और दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल भेजने का निर्देश दिया था।

गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को सजा में छूट दे दी थी और उन्हें रिहा कर दिया था।

पीठ ने कहा, ‘‘हमने आवेदकों के वरिष्ठ अधिवक्ता और वकील तथा गैर-आवेदकों के वकील की दलीलों को भी सुना है। आवेदकों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए और वक्त दिये जाने के लिए बताये गये कारणों में कोई दम नहीं है, क्योंकि ये कारण किसी भी तरह से उन्हें हमारे निर्देशों का पालन करने से नहीं रोकते हैं। इसलिए, ये याचिकाएं खारिज की जाती हैं।’’

आत्मसमर्पण की समय सीमा बढ़ाने के लिए बताये गये कारणों में खराब स्वास्थ्य, सर्जरी, बेटे की शादी और पकी हुई फसलों की कटाई शामिल हैं।

राहत दिये जाने का सबसे पहले अनुरोध करने वाले पांच दोषियों में गोविंद , प्रदीप मोरधिया, बिपिन चंद्र जोशी, रमेश चांदना और मितेश भट्ट शामिल हैं।

बाद में अन्य दोषियों ने भी इसी तरह की याचिका दायर की थी।

गोविंद नाई ने अपनी याचिका में कहा, “प्रतिवादी स्वयं एक बुजुर्ग व्यक्ति है, जो अस्थमा से पीड़ित है और उसका स्वास्थ्य वास्तव में खराब है। प्रतिवादी का हाल ही में ऑपरेशन किया गया था और उसे एंजियोग्राफी से गुजरना पड़ा था। यह भी अवगत कराया जाता है कि प्रतिवादी को बवासीर के इलाज के लिए अभी एक और ऑपरेशन कराना है।”

उन्होंने राहत पाने के लिए बिस्तर पर पड़े अपने 88 वर्षीय पिता के खराब स्वास्थ्य का भी हवाला दिया।

आत्मसमर्पण के लिए और अधिक मोहलत मांगते हुए चांदना ने अपनी याचिका में कहा कि वह अपनी फसलों की देखभाल कर रहा है और फसलें कटाई के लिए तैयार हैं। उसने कहा कि वह परिवार में एकमात्र पुरुष सदस्य है और उसे फसलों की देखभाल करनी पड़ती है।

चांदना ने कहा, “इसके अलावा, याचिकाकर्ता का छोटा बेटा विवाह योग्य उम्र का है और याचिकाकर्ता पर इस मामले को देखने की जिम्मेदारी है तथा माननीय न्यायालय की कृपा से यह मामला भी पूरा हो सकता है।”

मोरधिया ने कहा कि फेफड़े की सर्जरी के बाद उन्हें चिकित्सकों से नियमित परामर्श की आवश्यकता है।

एक अन्य दोषी मितेश भट्ट ने कहा कि उसकी सर्दियों की फसल कटाई के लिए तैयार है और उसे आत्मसमर्पण करने से पहले कार्य पूरा करना होगा।

जोशी ने राहत पाने के लिए हाल में पैर की सर्जरी का हवाला दिया है।

समय से पहले रिहा किये गये छह अन्य दोषियों में बकाभाई वोहानिया, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, गोविंद नाई, जसवंत नाई, मितेश भट्ट, प्रदीप मोरधिया, राधेश्याम शाह, राजूभाई सोनी, रमेश चांदना और शैलेश भट्ट शामिल हैं।

घटना के वक्त बिलकीस बानो 21 साल की थीं और पांच माह की गर्भवती थीं। गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद 2002 में भड़के दंगों के दौरान बानो के साथ दुष्कर्म किया गया था।

दंगों में मारे गए उनके परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी।

 

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