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बलरामपुर: अजब बेसिक शिक्षा विभाग की गजब कहानी.. बिन द्रोणाचार्य कहां से बनेंगे अर्जुन?

जिले में शिक्षा महकमा बिना द्रोणाचार्य के अर्जुन बनाने में जुटे हुए हैं। अपनी पीठ खुद थपथपाने के लिए शिक्षा महकमा "पढ़े बलरामपुर-बढ़े बलरामपुर" का नारा देकर शिक्षा की अलख जगाने का प्रयास कर रहा है। जिले मे 50 फीसदी से अधिक शिक्षकों का पद खाली है और बेसिक शिक्षा महकमा कान्वेंट स्कूलों को टक्कर देने की बात कह रहा है। इन्वेस्टिगेटिव खबर..
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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बलरामपुर: अजब बेसिक शिक्षा विभाग की गजब कहानी.. बिन द्रोणाचार्य कहां से बनेंगे अर्जुन?

बलरामपुर: जिले में शिक्षा महकमा बिना गुरुओं के बच्चों को पढ़ाने की तैयारी में है। अपनी पीठ खुद थपथपाने के लिए शिक्षा महकमा.. पढ़े बलरामपुर-बढ़े बलरामपुर, का नारा देकर शिक्षा की अलख जगाने का प्रयास कर रहा है। जिले में 50 फीसदी से अधिक शिक्षकों का पद खाली है और बेसिक शिक्षा महकमा कान्वेंट स्कूलों का टक्कर देने की बात कह रहा है।

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बिना शिक्षकों के ही ज्ञानी बनेगें नौनिहाल

जिले में कुल 1575 प्राथमिक स्कूलों में 6603 शिक्षकों के सापेक्ष मात्र 2700 शिक्षक ही तैनात है। वहीं जूनियर हाईस्कूल में 2065 शिक्षकों के सापेक्ष मात्र 1264 शिक्षक ही तैनात है। जिले में तैनात शिक्षकों में से 135 फर्जी शिक्षकों को तत्कालीन बीएसए रमेश यादव ने बर्खास्त कर दिया था। 

50 प्रतिशत से भी कम है जिले में शिक्षक

जिले में शिक्षकों का अकाल है। प्राथमिक स्कूलों में 1215 प्रधानाचार्य के पद रिक्त पड़े है। वहीं 2688 सहायक अध्यापक पदों पर भी भर्ती नहीं हो पाई है। वहीं उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रधानाचार्य के 88 पद रिक्त है तो सहायक अध्यापक के भी 713 पद खाली है। जिले में कुल 8668 पदो के सापेक्ष 3964 शिक्षक ही तैनात है।

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शिक्षामित्र व अनुदेशकों ने जगा रखी है शिक्षा की अलख

प्राथमिक स्कूलों शिक्षा मित्रों तो उच्च प्राथमिक स्कूलों में अनुदेशकों ने शिक्षा की अलख जगा रखी है। जिले में प्राथमिक स्कूलों मेे 1869 शिक्षामित्रों तथा उच्च प्राथमिक स्कूलों में 148 अनुदेशको ने शिक्षा की अलख जगा रखी है। बेसिक शिक्षा शिक्षा विभाग में शुरू से शिक्षामित्रों की अहम भूमिका रही है। वहीं उच्च प्राथमिक स्कूलों में कला, गृह विज्ञान, कम्प्यूटर, खेल-कूद के साथ साथ अन्य विषयों का भार अनुदेशकों पर है।

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