बलरामपुर में बच्चों का भविष्य भगवान भरोसे, नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ करने में जुटा बेसिक शिक्षा विभाग

डीएन संवाददाता

पढ़े बलरामपुर- बढ़े बलरामपुर के दावे जिले में पूरी तरह से खोखले नजर आ रहे हैं। नये शिक्षा सत्र के एक महीने से अधिक बीत जाने के बाद भी अभी तक नौनिहालों को किताबें नही मुहैया कराई गई है। डाइनामाइट न्यूज की एक्सक्लूसिव खबर..



बलरामपुर: पढ़े बलरामपुर - बढ़े बलरामपुर के नारे के साथ जिले में चार जुलाई से नामांकन अभियान शुरू होगा। जिसकी तैयारी जोर शोर से चल रही है। जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश सहित अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में चार जुलाई को जिला पंचायत सभागार में कार्यक्रम का शुभारंभ होगा। नवीन शिक्षा सत्र हुए एक महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी अभी नौनिहालों को किताबें नही मुहैया कराई गई हैं। ऐसे में बिना पोथी के पंडित बनाने की तैयारी में विभाग जुटा हुआ है। कान्वेंट स्कूल को टक्कर देने की बात कहने वाला यह विभाग केवल नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है।

बच्चों के मोह भंग के लिए कौन है जिम्मेदार

सर्व शिक्षा अभियान के तहत करोड़ो रुपये परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने वाले नन्हें मुन्हों के लिए खर्च किया जा रहा है। मुफ्त शिक्षा, ड्रेस, किताबें, मध्याहन भोजन सहित अन्य सुविधायें देने के बावजूद भी परिषदीय स्कूलों से अभिभावको व बच्चों का मोह भंग हो रहा है। मध्याहन भोजन के साथ ही बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए दूध व फल वितरण भी विद्यालयों में शुरू किया गया है परन्तु जिन पुस्तकों से नौनिहालों का भविष्य बनना है वे पुस्तकें ही विद्यालयों से शिक्षा सत्र शुरू होने के एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी नदारद है। ऐसे में बच्चों की शिक्षा राम भरोसे ही है। विभाग अपनी कमियां छुपाने के लिए सारा जिम्मा शिक्षक के सर पर डाल अपना पल्ला झाड़ लेता है। बिना पाठ्य पुस्तकों के नौनिहालों को क्या शिक्षा दी जाएगी यह किसी को नहीं पता। जानकारों की मानें तो सरकार की भी मंशा नौनिहालों को साक्षर करने की है न कि शिक्षित। तभी करोड़ो रूप्ए खर्च करने के बावजूद लोगों को सरकारी विद्यालयों से मोह भंग हो रहा है।

डाइनामाइट न्यूज से ये कहा बीएसए ने 
जिले के लिए किताबो की मांग की गई है। जो जल्द आ जाएँगी। तब तक के लिए बच्चों से पुरानी किताबें जमाकर वितरित की जा रही हैं यह कहना है बीएसए हरिहर प्रसाद का। उनके पास इस बात का कोई जवाब नही कि यदि बच्चों के भविष्य के खिलवाड़ के लिए कौन जिम्मेदार है? 










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