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यूपी में बलरामपुर से सिद्धार्थनगर तक बड़ा फर्जीवाड़ा, पुलिस ने तोड़ी 11 अभियुक्तों की कमर

आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर फर्जी प्रमाणपत्र बनाने वाले गिरोह के 11 सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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यूपी में बलरामपुर से सिद्धार्थनगर तक बड़ा फर्जीवाड़ा, पुलिस ने तोड़ी 11 अभियुक्तों की कमर

बलरामपुर: जनपद पुलिस ने 11 ऐसे अभियुक्तों की गिरफ्तारी की है, जो किसी फिल्म की स्क्रिप्ट की तरह थी। अभियुक्तों द्वारा फर्जी प्रमाणपत्र बनाने के गोरखधंधे के साथ आईडी का उपयोग करने के लिए सिलिकॉन से बने फर्जी फ्रिंगर प्रिंट का भी उपयोग किया जा रहा था। आधार कार्ड बनाने व अपडेट करने का गोरखधंधा जमकर चलाया जा रहा था।

पुलिस ने अभियुक्तों के पास से इस काम के प्रयोग में लाई जाने वाली सामग्री बरामद की है।

डाइनामाइट न्यूज संवादाता के अनुसार, आधुनिक टेक्नोलॉजिकल इस तरह इस्तमाल देख कर पुलिस भी अचंभित रह गई। एक ही छत के नीचे आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पर या अन्य ऐसी सभी सुविधाओं का संचालन फर्जी तरीके से चल रहे केंद्र से की जा रही थी।

बता दें कि इस तरह की सुविधाएं मुहैय्या करने की परमीशन सरकार ने सिर्फ सीएससी केंद्रों को दी है लेकिन गिरफ्तार अभियुक्त सीएससी के नाम पर फर्जीवाड़ा कर रहे थे।

बलरामपुर पुलिस ने ऐसे गिरोह का पर्दाफाश करते हुए अंतर्जनपदीय गिरोह के 11 सदस्यों की गिरफ्तारी की है। पुलिस ने बलरामपुर सहित सिद्धार्थनगर जिले से भी गिरफ्तारी की है।

एक आईडी से चलते थे कई सिस्टम

पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने बुधवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए सभी सदस्यों का आपस में कनेक्शन था। यह सभी एक ही आईडी का इस्तेमाल कई लैपटॉप व कंप्यूटर पर करते थे। जिससे इनका गोरखधंधा तेजी से चल रहा था।

एनीडेस्क सॉफ्टवेयर का करते थे प्रयोग

कूटरचित तरह से आधार कार्ड बनाने के काम में यह लोग एनीडेस्क सॉफ़्टवेयर के प्रयोग से कर रहे थे। जिसकी सहायता से वह जालसाजी कर आधार अपडेट करने का काम करते थे। वहीं बिना वैध दस्तावेजों को लेकर प्रमाणपत्र बनाकर यह अभियुक्त आसानी से आधार अपडेट कर देते थे।

पुलिस ने बताया कि जिन कार्यों के संपादन में इन्हें दिक्कत आती थी, वह कार्य करने के लिए अभियुक्त एनीडेस्क सॉफ्टवेयर के माध्यम से एक्सेस लेकर कर देते थे।

सिलिकॉन फ्रिंगरप्रिंट का भी हुआ उपयोग

पकड़े गए अभियुक्तों ने बताया कि आधार वेबसाइट पर आधार अपडेट करने के लिए वेरिफिकेशन से पहले सिस्टम फ्रिंगरप्रिंट मांगता है। ऐसे में हम लोगों ने सिलिकॉन का फर्जी फ्रिंगरप्रिट उस व्यक्ति का बना रखा था, जिसके नाम पर आईडी थी। ऐसे में हमारा काम आसान हो जाता था।

फर्जी अपडेशन के लिए महंगे दाम पर खरीदा लैपटॉप 

पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने बताया कि जालसाजी करने के लिए जिन सॉफ्टवेयर की जरूरत होती थी उसे पूरा करने के लिए अभियुक्तों ने महंगे दाम पर लैप टॉप खरीदा था। जिसमें नेटिव नाम का सॉफ्टवेयर मौजूद था। जिसे खोलते ही आधार अपडेट व नया आधार बनाने की वेबसाइड खुल जाती थी।

शिक्षामित्र की आईडी का हो रहा था प्रयोग

एसपी विकास कुमार ने बताया कि की फर्जी तरह से संचालित सीएससी केंद्रों पर सिद्धार्थनर जिले के शिक्षामित्र महेंद्र मिश्रा की आईडी लॉगिन थी। यह आईडी शिक्षामित्र को शिक्षा विभाग के सरकारी कार्य के संपादन के लिए दी गई थी।

आधार बनाने के उपकरण बरामद

पुलिस ने अभियुक्तों के पास 14 लैपटॉप सहित प्रिंटर, बायो मैट्रिक मशीन, वेब कैम, वाई फाई डिवाइस, आई स्कैनर, लेमिनेशन मशीन सहित अन्य उपकरण बरामद किए है।

25 हजार रूपये की पुरुस्कार की घोषणा

पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने जालसाजी कर आधार अपडेट करने वाले अंतर्जनपदीय गिरोह के सदस्यों की गिरफ्तारी करने वाली टीम को 25 हजार रुपए पुरस्कार देने की घोषणा की है।

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