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Diamond League 2025: खिताब जीतने से चूके नीरज चोपड़ा, गोल्ड से रह गए इतने मीटर दूर

डायमंड लीग फाइनल 2025 में नीरज चोपड़ा स्वर्ण पदक से चूक गए और रजत पदक के साथ संतोष करना पड़ा। जर्मनी के जूलियन वेबर ने 91.51 मीटर के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ खिताब जीता। नीरज का आखिरी और सर्वश्रेष्ठ थ्रो 85.01 मीटर का रहा।
Post Published By: Mrinal Pathak
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Diamond League 2025: खिताब जीतने से चूके नीरज चोपड़ा, गोल्ड से रह गए इतने मीटर दूर

Zurich: ज्यूरिख में आयोजित डायमंड लीग फाइनल 2025 में भारत के स्टार जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा स्वर्ण पदक से चूक गए। नीरज पूरे टूर्नामेंट में 90 मीटर की दूरी पार नहीं कर पाए और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। जर्मनी के जूलियन वेबर ने 91.51 मीटर के शानदार थ्रो के साथ यह खिताब अपने नाम किया और व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी दर्ज किया।

पहले थ्रो से ही वेबर का दबदबा

वेबर ने मुकाबले की शुरुआत ही धमाकेदार अंदाज में की। उन्होंने अपना पहला थ्रो 91.37 मीटर का फेंका, जो न केवल उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला था, बल्कि बाकी खिलाड़ियों पर भी दबाव बनाने वाला साबित हुआ। नीरज चोपड़ा का पहला थ्रो 84.34 मीटर का था, जिससे शुरुआत में ही दोनों के बीच काफी अंतर बन गया।

नीरज रहे असफल

नीरज चोपड़ा के लिए यह डायमंड लीग फाइनल मुकाबला चुनौतीपूर्ण रहा। उनका दूसरा थ्रो सिर्फ 82 मीटर का रहा, जबकि वेबर ने इसी प्रयास में 91.51 मीटर की दूरी तय कर निर्णायक बढ़त बना ली। नीरज का तीसरा, चौथा और पाँचवाँ थ्रो फाउल रहा, जिससे उनका मनोबल प्रभावित हुआ और वे लय से बाहर दिखाई दिए।

आखिरी थ्रो से मिला रजत पदक

नीरज ने आखिरी थ्रो में 85.01 मीटर की दूरी हासिल की, जिससे वे दूसरे स्थान पर रहे और उन्हें रजत पदक मिला। त्रिनिदाद एंड टोबैगो के केशोर्न वॉलकॉट 84.95 मीटर के थ्रो के साथ तीसरे स्थान पर रहे। हालांकि नीरज अंत तक प्रयासरत रहे, लेकिन वे 2022 की जीत को दोहराने में असफल रहे।

लगातार तीसरा रजत

नीरज चोपड़ा ने 2022 में डायमंड लीग का खिताब जीतकर इतिहास रचा था। वह डायमंड लीग में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। उसके बाद 2023 में यूजीन, 2024 में ब्रुसेल्स और अब 2025 में ज्यूरिख में उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा है।

भारतीय एथलेटिक्स में अब भी चमकता नाम

टोक्यो ओलंपिक 2020 में स्वर्ण जीतकर नीरज चोपड़ा ने भारत को जेवलिन थ्रो में वैश्विक पहचान दिलाई। भले ही इस बार डायमंड लीग में वे स्वर्ण नहीं जीत सके, लेकिन उनका निरंतरता भरा प्रदर्शन और शीर्ष खिलाड़ियों के बीच मजबूती से बने रहना यह दिखाता है कि वे अभी भी इस खेल के दिग्गजों में शुमार हैं।

 

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