सरकारी विद्यालय में 155 विद्यार्थियों को स्वेटर वितरण कर पुलिस ने मानवता की मिसाल पेश की। तत्कालीन एएसपी गोपाल स्वरूप मेवाड़ा के मार्गदर्शन और कांस्टेबल चंद्रभान छिलर की आठ वर्षों की निस्वार्थ सेवा से बच्चों को ठंड से राहत मिली।

स्वेटर पाकर खिले बच्चों के चेहरे
Bhillwara: शीतलहर के प्रकोप के बीच ग्राम मीणो का खेड़ा, कोदूकोटा स्थित सरकारी विद्यालय में उस समय उल्लास का माहौल बन गया, जब बच्चों को सर्दी से बचाव के लिए गर्म स्वेटर पहनाए गए। ठंड से ठिठुरते चेहरों पर मुस्कान लौट आई और आंखों में उम्मीद की चमक दिखाई दी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह मानवीय और प्रेरणादायी पहल भीलवाड़ा के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोपाल स्वरूप मेवाड़ा के मार्गदर्शन में निरंतर आठ वर्षों से की जा रही है।
इस वर्ष 2025 में भी विद्यालय के 155 छात्र-छात्राओं को स्वेटर वितरित किए गए। कार्यक्रम का नेतृत्व कोतवाली थाने में तैनात कांस्टेबल चंद्रभान छिलर ने किया, जिन्होंने वर्ष 2018 में इस विद्यालय को गोद लेकर सेवा कार्य की शुरुआत की थी। तब से लेकर आज तक वे बिना किसी प्रचार-प्रसार के लगातार जरूरतमंद बच्चों के लिए सहयोग जुटाते आ रहे हैं।
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कार्यक्रम के दौरान बच्चों से आत्मीय संवाद किया गया। उन्हें नियमित पढ़ाई, अनुशासन और जीवन में लक्ष्य तय करने के महत्व को सरल शब्दों में समझाया गया। पुलिस अधिकारियों ने बच्चों को आश्वस्त किया कि समाज और प्रशासन हमेशा उनके साथ खड़ा है। स्वेटर पाकर बच्चों की खुशी देखते ही बनती थी, कई बच्चों ने पहली बार नए और गर्म कपड़े पहनने का अनुभव साझा किया।
इस पहल के पीछे तत्कालीन एएसपी गोपाल स्वरूप मेवाड़ा की सोच और प्रेरणा को अहम माना जा रहा है। उनके मार्गदर्शन में पुलिसकर्मियों को सामाजिक दायित्वों से जोड़ने का यह प्रयास आज एक मिसाल बन चुका है। उन्होंने हमेशा पुलिस को केवल कानून व्यवस्था तक सीमित न रखकर समाज के सुख-दुख में भागीदार बनाने पर जोर दिया। कांस्टेबल चंद्रभान छिलर की भूमिका इस पूरे अभियान की रीढ़ रही है। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने जनसहयोग से बच्चों के लिए गर्म कपड़ों की व्यवस्था की और हर वर्ष समय पर वितरण सुनिश्चित किया।
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विद्यालय स्टाफ और ग्रामीणों ने इस निरंतर सहयोग के लिए पुलिस का आभार जताया। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह के कार्य न केवल बच्चों को ठंड से राहत देते हैं, बल्कि शिक्षा के प्रति उनका भरोसा भी बढ़ाते हैं। साथ ही पुलिस और आमजन के बीच विश्वास की खाई को पाटने में भी मदद मिलती है।