

उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के भीतर मचा घमासान अब खुलकर सामने आ चुका है। वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल तथा राज्यमंत्री हेमराज बिष्ट के बीच तीखी जुबानी जंग ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है।
विधायक बिशन सिंह चुफाल और राज्यमंत्री हेमराज बिष्ट आमने-सामने
Dehradun: भारतीय जनता पार्टी, जो अक्सर अपने अनुशासन और संगठित ढांचे के लिए जानी जाती है, उत्तराखंड में इस वक्त आंतरिक कलह से जूझती नजर आ रही है। डीडीहाट से विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल तथा दायित्वधारी हेमराज बिष्ट के बीच का विवाद अब सार्वजनिक मंच पर आ गया है। चुफाल के बयान और उसके बाद वायरल वीडियो से मामला तब और गर्मा गया जब हेमराज बिष्ट ने भी गंगा किनारे से एक वीडियो संदेश जारी कर चुफाल पर व्यक्तिगत और राजनीतिक हमला बोला।
बिशन सिंह चुफाल ने राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिन लोगों को दायित्व दिए गए हैं वे “पूरी तरह से अयोग्य” हैं। उन्होंने सीधे-सीधे हेमराज बिष्ट पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी विधानसभा क्षेत्र के जरूरतमंद लोगों की इलाज संबंधी आर्थिक सहायता की फाइलें जानबूझकर गायब कर दी गईं। बिशन सिंह चुफाल ने कहा कि मैंने 19 से 20 फाइलें भेजी थीं, लेकिन वे सभी गायब कर दी गईं। कर्मचारियों ने बताया कि यह काम हेमराज बिष्ट ने किया है।
हेमराज बिष्ट ने चुफाल के आरोपों को नकारते हुए उन्हें राजनीतिक द्वेष से प्रेरित बताया। उन्होंने चुफाल पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और सवाल उठाया कि कैसे उनकी बेटी को “तीलू रौतेली सम्मान” मिला? हेमराज बिष्ट ने कहा कि मैं आपकी नजर में अयोग्य हूं, लेकिन क्या आपकी बेटी योग्य है? आप उसे जिला पंचायत अध्यक्ष बनाना चाहते थे, आप उसे अपनी राजनीतिक विरासत देना चाहते हैं।
बिशन सिंह चुफाल और हेमराज बिष्ट दोनों के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच भी भ्रम और असंतोष की स्थिति बनी हुई है। जहां भाजपा कांग्रेस पर आए दिन गुटबाजी के आरोप लगाती रही है, वहीं अब खुद पार्टी के भीतर चल रही खींचतान जगजाहिर हो गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि भाजपा इस तरह की आंतरिक कलह पर अभी से नियंत्रण नहीं करती, तो इसका असर 2027 में होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। एक ओर कांग्रेस लगातार भाजपा सरकार पर विकास कार्यों में विफलता का आरोप लगा रही है तो दूसरी ओर भाजपा के अपने नेता ही सरकार को अंदर से खोखला बताने लगे हैं।
इस पूरे मामले पर पार्टी हाईकमान की अब तक की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। क्या पार्टी इस विवाद को केवल स्थानीय राजनीति समझकर नजरअंदाज कर रही है, या फिर इसके पीछे कोई बड़ा गुटीय संघर्ष चल रहा है? अगर जल्दी समाधान नहीं निकाला गया, तो यह विवाद बर्फीले पहाड़ों से शुरू हुआ हिमस्खलन बन सकता है जो पार्टी की नींव तक को हिला सकता है।