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85 साल बाद बिहार में फिर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक, रामगढ़ से पटना तक राजनीति का संदेश; चुनाव से पहले दिखाया ताकत का प्रदर्शन

कांग्रेस ने 85 साल बाद एक बार फिर बिहार में अपनी कार्यसमिति की बैठक कर ऐतिहासिक संदेश देने की कोशिश की है। रामगढ़ के ऐतिहासिक अधिवेशन की याद दिलाते हुए पटना के सदाकत आश्रम में पार्टी ने आगामी बिहार चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की।
Post Published By: Asmita Patel
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85 साल बाद बिहार में फिर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक, रामगढ़ से पटना तक राजनीति का संदेश; चुनाव से पहले दिखाया ताकत का प्रदर्शन

Patna: 2025 में बिहार की राजधानी पटना में आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक ने 85 वर्ष पुराने एक ऐतिहासिक पड़ाव की याद दिला दी। मार्च 1940 में जब भारत अविभाजित था, रामगढ़ (अब झारखंड में) में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई थी। जिसकी अध्यक्षता मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने की थी। इस बैठक में पहली बार कांग्रेस ने स्वतंत्र भारत के लिए संविधान सभा के गठन की बात की थी। अब 2025 में कांग्रेस ने फिर से बिहार की धरती को चुना है। इस बार राजनीति के नए संघर्ष के लिए।

इतिहास से वर्तमान का संगम

कांग्रेस की यह बैठक पटना के ऐतिहासिक सदाकत आश्रम में आयोजित की गई है। यह वही स्थान है, जहाँ महात्मा गांधी, नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे नेता बैठकों में शामिल हुआ करते थे। यह स्थल अब बिहार प्रदेश कांग्रेस कार्यालय और एक संग्रहालय का रूप ले चुका है, लेकिन इसकी राजनीतिक और ऐतिहासिक पहचान आज भी जीवित है।

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक

बिहार चुनाव की रणनीति

बैठक का प्रमुख एजेंडा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति तय करना था। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेतृत्व ने चुनावी तैयारियों को लेकर कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए। पार्टी यह दिखाना चाहती है कि वह केवल राजद पर निर्भर नहीं है, बल्कि स्वतंत्र रूप से भी मजबूती से चुनाव लड़ने की स्थिति में है।

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जयराम रमेश की ऐतिहासिक टिप्पणी

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि रामगढ़ अधिवेशन में पहली बार कांग्रेस ने संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा की मांग की थी। आज उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पटना में हम एक बार फिर लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प ले रहे हैं। उन्होंने आरएसएस पर भी तंज कसते हुए लिखा कि जो संगठन अब संविधान की शपथ ले रहा है, उसने उस समय संविधान का विरोध किया था।

हैदराबाद मॉडल से उम्मीदें

कांग्रेस इस बार बिहार में तेलंगाना जैसा परिणाम दोहराने की कोशिश कर रही है। 2023 में तेलंगाना चुनाव से पहले हैदराबाद में CWC बैठक हुई थी और पार्टी को शानदार जीत मिली थी। पार्टी नेतृत्व मानता है कि पटना में बैठक करके कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा आएगी और चुनावी जीत की दिशा में यह कदम मददगार होगा।

वोटर फ्रॉड और चुनाव आयोग पर तीखा हमला

खड़गे ने अपने संबोधन में भाजपा पर चुनावी धांधली और सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाया। कांग्रेस का यह भी कहना है कि वह चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाएगी और ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए पूरे देश में जनजागरूकता फैलाएगी।

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सहयोगी दलों को संदेश

कांग्रेस की इस बैठक को तेजस्वी यादव की पार्टी RJD के लिए भी एक संदेश माना जा रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ 19 सीटें जीतीं। अब कांग्रेस चाहती है कि सीट बंटवारे में सम्मानजनक भागीदारी मिले और वह तेजस्वी को CM उम्मीदवार घोषित करने से परहेज कर रही है, ताकि दबाव बनाया जा सके।

CWC बैठक से कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा

पटना में हुई यह उच्चस्तरीय बैठक कांग्रेस के लिए सिर्फ एक रणनीतिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह पार्टी के राजनीतिक आत्मविश्वास और संगठनात्मक शक्ति का प्रदर्शन भी था। बैठक के जरिए कांग्रेस ने यह दिखाने की कोशिश की कि वह अब भी मूल मुद्दों, लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

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