Lucknow: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर बयानबाज़ी गर्म है। समाजवादी पार्टी से निष्कासित की गई विधायक पूजा पाल को लेकर सपा के वरिष्ठ नेता और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव ने तीखा हमला बोला है। उनका बयान केवल पार्टी लाइन से हटने पर प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि भविष्य की राजनीति को लेकर एक खुला संदेश है — जो पार्टी अनुशासन तोड़ेगा, उसका सियासी भविष्य खत्म हो जाएगा।
15 अगस्त के मौके पर इटावा में आयोजित ध्वजारोहण कार्यक्रम के दौरान शिवपाल यादव ने पत्रकारों से बातचीत में पूजा पाल को लेकर कहा, “उनका हाल भी वही होगा जो यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का हुआ — न लोकसभा बची, न विधानसभा।”
शिवपाल यादव के इस बयान से स्पष्ट है कि पूजा पाल की सीएम योगी आदित्यनाथ की सराहना सपा नेतृत्व के लिए असहनीय साबित हुई। विधानसभा में उन्होंने मुख्यमंत्री की यह कहकर तारीफ की थी कि “मेरे पति के हत्यारों को योगी सरकार ने मिट्टी में मिला दिया, इसके लिए मैं धन्यवाद देती हूं।”
यह कथन ही उनके सियासी करियर का निर्णायक मोड़ बन गया। सपा ने इसे पार्टी लाइन का उल्लंघन मानते हुए कुछ ही घंटों में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।
शिवपाल यादव की नाराज़गी केवल बयान को लेकर नहीं है, बल्कि वे इसे पार्टी अनुशासन और वैचारिक प्रतिबद्धता से जुड़े बड़े प्रश्न के रूप में देखते हैं। उन्होंने साफ कहा, “जो पार्टी के सिद्धांतों से भटकेगा, जनता भी उसे स्वीकार नहीं करेगी। पूजा पाल अब न विधायक बनेंगी, न जनता का भरोसा पा सकेंगी।”
राजनीति में विचारधारा और संगठन की मर्यादा कितनी अहम होती है, यह प्रकरण उसका ज्वलंत उदाहरण है। पूजा पाल का कदम जहां एक व्यक्तिगत आभार की अभिव्यक्ति था, वहीं पार्टी ने उसे संगठन विरोधी गतिविधि मानकर तत्काल दंडित किया।
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अब सवाल यह है कि क्या पूजा पाल को कोई नया राजनीतिक ठिकाना मिलेगा? और क्या शिवपाल यादव की भविष्यवाणी सच साबित होगी? समय ही देगा इसका जवाब, लेकिन फिलहाल इतना तो तय है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह घटनाक्रम एक नए सियासी अध्याय की शुरुआत बन सकता है।
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