New Delhi: कांग्रेस द्वारा भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार के खिलाफ उन्हें पद से हटाने का प्रस्ताव लाने पर विचार किया जा रहा है। यह कदम राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग में व्यापक खामियों और ‘वोट चोरी’ जैसे गंभीर आरोप लगाये जाने के बाद आया है। विशेष रूप से बिहार में मतदाता सूची के “स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन” को लेकर विवाद बढ़ा है, जिसने चुनाव आयोग और विपक्ष के बीच तनातनी को और गहरा कर दिया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त हटाने की प्रक्रिया
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324(5) में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त को केवल उसी तरीके और आधार पर हटाया जा सकता है, जिस प्रकार से सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाया जाता है। यानी, हटाने के लिए “सिद्ध दुर्व्यवहार” या “अक्षमता” के गंभीर प्रमाण होना आवश्यक है, और इसके लिए संसद में दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित होना चाहिए।
इसकी प्रकिया संविधान के अनुच्छेद 124(4) द्वारा परिभाषित सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने की समान प्रकिया के अनुरूप ही होती है। यानी, हटाने की प्रक्रिया बेहद जटिल है और राजनीतिक हस्तक्षेप को रोकने तथा आयोग की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने हेतु संवैधानिक सुरक्षा दी गई है
सुप्रीम कोर्ट जजों को हटाने की संरचना
देश में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को हटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत प्रक्रिया निर्धारित है। इसमें राष्ट्रपति के आदेश द्वारा उनमें नियुक्ति हो सकती है, यदि संसद के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—में एक ही सत्र में विशेष बहुमत से उन्हें हटाने का प्रस्ताव पारित हो। यह प्रस्ताव “सिद्ध दुर्व्यवहार” या “अक्षमता” के आधार पर पारित किया जाना चाहिए
Car Price Hike: सितंबर से लग्जरी कारों की कीमत में जबरदस्त उछाल, फेस्टिव सीजन से पहले हुआ बड़ा एलान

