Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के साथ ही सूबे की सियासत में हलचल तेज़ हो गई है। खासकर शिवहर जिला इस समय बड़े राजनीतिक उलटफेर का केंद्र बन गया है। भारतीय जनता पार्टी को यहां एक के बाद एक तीन बड़े झटके लगे हैं, जिससे पार्टी के संगठनात्मक ढांचे पर भी सवाल उठने लगे हैं।
राकेश झा ने थामा राजद का दामन
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, शिवहर की राजनीति में उस वक्त सनसनी फैल गई जब पूर्व केंद्रीय मंत्री और ‘शिवहर निर्माता’ कहे जाने वाले पंडित रघुनाथ झा के पौत्र राकेश झा ने भाजपा से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थाम लिया। राजधानी पटना में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव की उपस्थिति में उन्हें राजद की सदस्यता दिलाई गई।
राकेश झा का भाजपा छोड़ना केवल एक व्यक्तिगत फैसला नहीं माना जा रहा, बल्कि इसे शिवहर में भाजपा के जातीय-सामाजिक समीकरणों के खिसकते संतुलन के रूप में देखा जा रहा है। वे पूर्व विधायक अजीत कुमार झा के पुत्र और राजनीतिक परिवार की अगली पीढ़ी से हैं, जिनकी सक्रियता भाजपा के लिए अब तक फायदेमंद मानी जाती रही थी।
एक महीने में तीन नेताओं की विदाई
यह पहला मौका नहीं है जब भाजपा को शिवहर में नुकसान उठाना पड़ा हो। बीते एक महीने में तीन प्रमुख नेताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया है।
राकेश झा – पूर्व केंद्रीय मंत्री के पौत्र, अब राजद में।
राधाकांत गुप्ता उर्फ बच्चू जी – वैश्य समाज के प्रभावशाली नेता, हाल ही में राजद में शामिल।
रामाधार साह – वैश्य समाज के ही वरिष्ठ नेता, जिन्होंने जनसुराज का दामन थाम लिया।
लगातार हो रहे इन इस्तीफों ने भाजपा की रणनीति और ज़मीनी पकड़ दोनों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर ऐसे समय में जब पार्टी को एकजुट होकर महागठबंधन और अन्य उभरते दलों से मुकाबला करना है।
राजद को मिला जातीय-सामाजिक संतुलन का लाभ
राजद इस घटनाक्रम को भाजपा के अंदरूनी संकट और अपनी बढ़ती स्वीकार्यता के रूप में पेश कर रहा है। वैश्य और ब्राह्मण नेताओं का पार्टी से जुड़ना, राजद के जातीय विस्तार और उसके व्यापक जनाधार की ओर संकेत कर रहा है। खासकर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी ने नए चेहरों को मंच देने की रणनीति को अपनाया है, जो अब रंग लाती दिख रही है।
जनसुराज की एंट्री ने बढ़ाया मुकाबले का तापमान
इस बीच, शिवहर की सियासत में एक और नया चेहरा तेज़ी से उभर रहा है प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी। जनसुराज नेता नीरज सिंह ने हाल ही में जिले के पिपराही और बलहा में जनसभाएं कर जनभावनाओं को हवा दी है। उन्होंने कहा “बिहार में युवा बाहर जाकर 12-15 हजार की नौकरी कर रहे हैं, यह शर्म की बात है। शिक्षा ही बदलाव की कुंजी है।” नीरज सिंह ने वृद्धा पेंशन को मुद्दा बनाते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने इसे केवल चुनावी फायदे के लिए 1100 तक बढ़ाया, जबकि प्रशांत किशोर इसे 2000 रुपये तक पहुंचाने की बात कर चुके हैं। जनसुराज का दावा है कि वे 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जिससे स्पष्ट है कि शिवहर जैसी सीटों पर भी मुकाबला अब त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय होने वाला है।
क्या कहता है शिवहर का राजनीतिक भविष्य?
भाजपा जहां अंदरूनी टूटफूट और चेहरे की कमी से जूझ रही है, राजद जातीय और सामाजिक संतुलन के सहारे संगठन को मजबूत कर रहा है,वहीं जनसुराज नए विचार और युवाओं की उम्मीदों को लेकर जमीन पर काम कर रही है। शिवहर अब महज़ एक विधानसभा सीट नहीं रही, बल्कि यह पूरे बिहार के बदलते राजनीतिक समीकरणों का आइना बन गई है।