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भारत-पाक सीजफायर पर ट्रंप के दावे से मचा बवाल, जयशंकर ने याद दिलाया एबटाबाद का सच

भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर बढ़ते तनाव के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान ने कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस पर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तीखी प्रतिक्रिया दी और अमेरिका को पाकिस्तान के अतीत की याद दिलाई।
Post Published By: Poonam Rajput
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भारत-पाक सीजफायर पर ट्रंप के दावे से मचा बवाल, जयशंकर ने याद दिलाया एबटाबाद का सच

New Delhi: भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर बढ़ते तनाव के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान ने कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस पर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तीखी प्रतिक्रिया दी और अमेरिका को पाकिस्तान के अतीत की याद दिलाई।

अमेरिका को एबटाबाद की याद दिलाई

एस. जयशंकर ने अमेरिका को एक स्पष्ट जवाब देते हुए कहा कि उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी, ओसामा बिन लादेन, पाकिस्तान की सैन्य छावनी एबटाबाद में पाया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच का रिश्ता काफी पुराना है, लेकिन उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है इन तथ्यों को नजरअंदाज करने का इतिहास। जयशंकर ने चुटकी लेते हुए कहा, “जब पाकिस्तान की सेना किसी को सर्टिफिकेट देती है, तो यह याद रखना चाहिए कि यही सेना एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को छिपा रही थी।”

भारत-अमेरिका रिश्तों को बताया अहम

हालांकि, विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि भारत अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को बहुत महत्व देता है। उन्होंने कहा, “मैं हमेशा बड़ी तस्वीर को देखता हूं। मुझे अपनी ताकतों और अपने रिश्तों की अहमियत का पूरा अंदाजा है।” इससे यह साफ होता है कि भारत एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए रणनीतिक साझेदारी को बनाए रखना चाहता है।

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ट्रंप के दावे को बताया ‘बातचीत को तूल देना’

हाल ही में, डोनाल्ड ट्रंप ने यह दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच के संघर्ष को रोकने में सीधे हस्तक्षेप किया और सीजफायर कराया। यह बयान तब आया जब पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश की थी, और भारत ने इसके जवाब में ऑपरेशन “सिंदूर” चलाया था। एस. जयशंकर ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा, “हर बार जब तनाव होता है, तो देश एक-दूसरे से फोन पर बात करते हैं। उस समय अमेरिका और अन्य देशों ने भी फोन किया था, लेकिन यह कहना कि सीजफायर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से हुआ, गलत है।”

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