स्पाइसजेट को 14 घंटे की फ्लाइट देरी पर भुगतना पड़ा खामियाजा, आयोग ने लगाया 55,000 रुपय का जुर्माना

स्पाइसजेट की 14 घंटे देरी से परेशान यात्री को मिला न्याय। आयोग ने केवल बर्गर-फ्राइज परोसने को ‘अपर्याप्त सेवा’ मानते हुए ₹55,000 का मुआवजा देने का आदेश दिया।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 2 September 2025, 1:05 PM IST

New Delhi: स्पाइसजेट एयरलाइंस को दिल्ली जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ₹55,000 का हर्जाना देने का आदेश दिया है। यह आदेश एक यात्री की शिकायत पर आया, जिसने दुबई से मुंबई के लिए 27 जुलाई 2024 को स्पाइसजेट की फ्लाइट बुक की थी। तकनीकी खराबी के कारण फ्लाइट में 14 घंटे की देरी हुई और इस पूरी अवधि में यात्री को सिर्फ एक बर्गर और फ्राइज परोसे गए। आयोग ने इस सेवा को 'अपर्याप्त और अमानवीय' बताया।

उपभोक्ता आयोग ने स्पाइसजेट पर कसा शिकंजा

यात्री ने आयोग में शिकायत करते हुए बताया कि देरी की कोई स्पष्ट जानकारी समय पर नहीं दी गई, ना ही भोजन, पानी या आराम की समुचित व्यवस्था की गई। उन्होंने कहा कि लंबी प्रतीक्षा के दौरान एयरलाइन द्वारा दी गई सुविधा न के बराबर थी, जिससे मानसिक और शारीरिक परेशानी झेलनी पड़ी। आयोग ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए स्पाइसजेट की लापरवाही और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन को गंभीर माना।

बर्गर-फ्राइज सेवा अपर्याप्त

आयोग ने अपने फैसले में कहा कि उड़ान में देरी तकनीकी कारणों से हुई हो, इसका मतलब यह नहीं कि एयरलाइन यात्रियों की देखभाल की जिम्मेदारी से बच सकती है। ऐसी स्थिति में यात्रियों के लिए पर्याप्त भोजन, पीने का पानी, आरामदायक बैठने की जगह और समय-समय पर जानकारी देना एयरलाइन का कर्तव्य है। सिर्फ एक बर्गर और फ्राइज जैसी व्यवस्था, वो भी 14 घंटे की देरी में, किसी भी मानवीय सेवा के मापदंडों पर खरी नहीं उतरती।

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मुआवजा देने का आदेश

स्पाइसजेट की ओर से आयोग में इस संबंध में कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। ना तो देरी के दौरान की गई व्यवस्थाओं का विवरण साझा किया गया और ना ही यात्री की परेशानियों के प्रति कोई संवेदनशीलता दिखाई गई। इस कारण आयोग ने एयरलाइन की भूमिका को गैर-जिम्मेदाराना मानते हुए उसे यात्री को ₹50,000 मानसिक पीड़ा और असुविधा के लिए तथा ₹5,000 मुकदमा खर्च के रूप में भुगतान करने का आदेश दिया।

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यह मामला न केवल उपभोक्ता अधिकारों की जागरूकता का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि एयरलाइंस अब यात्रियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार या लापरवाही के लिए जवाबदेह होंगी। आयोग ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि हवाई यात्रा के क्षेत्र में देरी, रद्दीकरण और पुनर्निर्धारण आम हो सकते हैं, लेकिन इसके बहाने यात्रियों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकता।

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  • New Delhi

Published : 
  • 2 September 2025, 1:05 PM IST