‘ना का मतलब ना…’ शशि थरूर ने लोकसभा में पेश किया मैरिटल रेप अपराध बनाने वाला निजी विधेयक

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लोकसभा में निजी विधेयक पेश किया है, जिसमें शादी के भीतर भी महिलाओं की शारीरिक स्वायत्तता को सुरक्षित करने का प्रस्ताव है। यह कदम महिला अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए अहम माना जा रहा है।

Post Published By: ईशा त्यागी
Updated : 6 December 2025, 11:05 AM IST

New Delhi: कांग्रेस सांसद और प्रसिद्ध लेखक शशि थरूर ने हाल ही में लोकसभा में तीन निजी विधेयक (प्राइवेट मेंबर बिल) पेश किए हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में शामिल करने का है। थरूर ने कहा कि शादी के बाद भी किसी व्यक्ति के शरीर पर उसकी अपनी मर्जी चलनी चाहिए और कानून को इसे मान्यता देनी होगी। उन्होंने इस अवसर पर जोर देकर कहा कि भारत को अपने संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखना चाहिए।

शशि थरूर अक्सर अपनी बेबाक बयानबाजी और विवादित विषयों पर दृष्टिकोण रखने के लिए चर्चा में रहते हैं। इस बार उन्होंने लोकसभा में पेश किए गए तीन निजी विधेयकों के माध्यम से समाज में महिलाओं के अधिकार, श्रम कानूनों और राज्य पुनर्गठन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को संसद में उठाया है।

शशि थरूर ने ट्रंप को दी नसीहत, भारत के फैसलों पर बयान देने का अधिकार नहीं!

वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में लाने का प्रस्ताव

केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने कहा कि विवाह संबंध में भी महिला की स्वायत्तता और गरिमा को सुरक्षित रखना संविधानिक जिम्मेदारी है। थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए अपने संदेश में लिखा कि 'नो का मतलब नो' और यह सिद्धांत केवल सहमति के हां की ओर बढ़ने की जरूरत नहीं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा की गारंटी देता है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि वैवाहिक बलात्कार कोई शादी या पारिवारिक मामला नहीं है, बल्कि यह शारीरिक हिंसा और अपराध है। थरूर ने कहा कि अब समय आ गया है कि कानून को इस हिंसा के खिलाफ स्पष्ट कार्रवाई करने के लिए संशोधित किया जाए। उन्होंने लोकसभा में बीएनएस में संशोधन हेतु निजी विधेयक भी पेश किया।

महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार, भारत में वैवाहिक बलात्कार को अभी तक अपराध के दायरे में नहीं रखा गया है। थरूर के इस प्रस्ताव से महिलाओं की सुरक्षा और कानूनी संरक्षण को लेकर बहस को नया आयाम मिलेगा।

लोकसभा (फोटो सोर्स- गूगल)

दो अन्य निजी विधेयक: राज्य पुनर्गठन और राइट टू डिस्कनेक्ट

शशि थरूर ने अपने दो अन्य गैर सरकारी विधेयक भी पेश किए हैं। पहला विधेयक भारत में राज्यों के पुनर्गठन और सीमाओं के बदलाव से जुड़ा है। थरूर ने इसके लिए एक स्थाई आयोग बनाने का सुझाव दिया है, जो भविष्य में नए राज्य बनाने या मौजूदा राज्यों की सीमाओं में बदलाव के लिए डेटा, जनगणना, आर्थिक व्यवहार्यता, राष्ट्रीय एकता और जनता की राय के आधार पर निर्णय ले सके। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्यों का पुनर्गठन पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अनुसार किया जाए।

तीसरा निजी विधेयक काम करने वाले लोगों के स्वास्थ्य और कार्य जीवन संतुलन से संबंधित है। थरूर ने इसे ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ का नाम दिया। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि भारत की 51 प्रतिशत आबादी हफ्ते में 49 घंटे से अधिक काम करती है, जबकि 78 प्रतिशत लोग बर्नआउट का सामना कर रहे हैं। थरूर का कहना है कि काम के घंटों को सीमित करने और कर्मचारियों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का संरक्षण देने के लिए राइट टू डिस्कनेक्ट को कानूनी मान्यता देना आवश्यक है।

शशि थरूर बोले- समलान रश्दी महान लेखक, लंबे समय से नोबेल के हकदार

सामाजिक और कानूनी प्रभाव

शशि थरूर के द्वारा पेश किए गए इन तीन विधेयकों को समाज और संसद दोनों में व्यापक चर्चा का विषय माना जा रहा है। महिलाओं के अधिकारों, श्रमिक सुरक्षा और राज्य प्रशासनिक सुधारों के मामलों में यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विशेषकर वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में शामिल करने का प्रस्ताव भारतीय समाज में महिला सुरक्षा और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।

शशि थरूर ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट और लोकसभा भाषण में यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य केवल कानून में बदलाव करना नहीं है, बल्कि समाज में महिलाओं और श्रमिकों के अधिकारों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाना है। उनके अनुसार, 'हर महिला को विवाह संबंध में शारीरिक स्वायत्तता और गरिमा का मौलिक अधिकार मिलना चाहिए और हर काम करने वाले व्यक्ति को काम के घंटों और स्वास्थ्य की सुरक्षा का अधिकार होना चाहिए।'

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 6 December 2025, 11:05 AM IST