

कश्मीर में इस बार का बंद पहले से बिल्कुल अलग था। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
पहलगाम में पसरा सन्नाटा
जम्मू: पहलगाम में मंगलवार को हुए भीषण आतंकी हमले के विरोध में बुधवार को पूरी कश्मीर घाटी शांत लेकिन गुस्से में रही। इस हमले में कम से कम 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई, जिससे पूरे इलाके में गम और गुस्से की लहर दौड़ गई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, घाटी के आम नागरिकों से लेकर राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों तक, सभी ने इस क्रूर हमले की कड़ी निंदा की और अपने-अपने तरीके से विरोध जताया।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार देखा गया ऐसा बंद
कश्मीर में इस बार जो बंद देखने को मिला, वह पहले से बिल्कुल अलग था। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में ऐसा कोई सामूहिक विरोध प्रदर्शन नहीं देखा गया। यह पहली बार है कि बंद का आह्वान किसी अलगाववादी संगठन ने नहीं बल्कि आम नागरिकों और मुख्यधारा की संस्थाओं ने किया है। बंद को ट्रेड यूनियनों, छात्र संगठनों, धार्मिक समूहों और राजनीतिक दलों ने समर्थन दिया।
घाटी की एक प्रमुख धार्मिक संस्था मुताहिदा मजलिस-ए-उलेमा ने भी बंद का समर्थन करते हुए कहा कि निर्दोष लोगों की हत्या इस्लाम और मानवता दोनों के खिलाफ है।
श्रीनगर सहित घाटी के सभी प्रमुख शहर रहे बंद
लाल चौक से लेकर श्रीनगर के पुराने शहर तक सभी दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान और सार्वजनिक स्थान पूरी तरह बंद रहे। सड़कें सुनसान रहीं और वाहनों की आवाजाही लगभग बंद रही। स्कूल-कॉलेज भी पूरी तरह बंद रहे, जिससे शिक्षा व्यवस्था भी प्रभावित हुई। इसका पर्यटन पर भी गंभीर असर पड़ा। घाटी में छुट्टियां बिताने आए कई पर्यटक अपने होटलों तक ही सीमित रहे और कई ने अपनी यात्रा रद्द कर दी। पर्यटन से जुड़े कारोबारियों के मुताबिक इस हमले और बंद की वजह से पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान हुआ है।
राजनीतिक नेतृत्व और प्रशासन ने जताया शोक
हमले की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला श्रीनगर स्थित पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) पहुंचे। वहां उन्होंने शहीद पर्यटकों को श्रद्धांजलि दी और अधिकारियों से घटना के बारे में विस्तृत जानकारी ली। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घटना पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि यह अमानवीय और बर्बर हमला कश्मीर की आत्मा को झकझोर देने वाला है। इस तरह की हिंसा का हमारे समाज में कोई स्थान नहीं है। जो लोग शांति के खिलाफ हैं, वे कश्मीर के भविष्य को अंधकार में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम उन्हें सफल नहीं होने देंगे।
घाटी में आक्रोश के साथ दिखा शांति का संदेश
एक तरफ जहां इस क्रूर हमले को लेकर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा, वहीं दूसरी तरफ इस बंद के जरिए घाटी ने एकता और शांति का संदेश भी दिया। लोग बिना किसी हिंसा या तोड़फोड़ के शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध जता रहे थे। यह कश्मीर के बदलते सामाजिक नजरिए का संकेत है, जहां अब आम लोग भी हिंसा और आतंकवाद को पूरी तरह से नकार रहे हैं।
सरकार और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड में
इस हमले के बाद केंद्र और राज्य सरकारें पूरी तरह सतर्क हो गई हैं। सुरक्षा एजेंसियों को सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं और पहलगाम समेत पूरी घाटी में गश्त और निगरानी बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही हमले की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) भी सक्रियता से काम कर रही है।