New Delhi: भारत सरकार ने एक बड़ा और राहत भरा फैसला लेते हुए ब्लैक मनी अधिनियम, 2015 में संशोधन किया है। इसके तहत अब अगर कोई भारतीय टैक्सपेयर्स गलती से अपनी 20 लाख रुपये से कम की विदेशी चल संपत्ति की जानकारी आयकर विभाग को नहीं देता है, तो उस पर अब कोई जुर्माना या मुकदमा नहीं चलेगा। यह बदलाव 1 अक्टूबर 2024 से प्रभावी हो चुका है। इसका उद्देश्य है छोटे करदाताओं को अनावश्यक कानूनी परेशानी से बचाना और केवल बड़े पैमाने पर काले धन को छिपाने वालों पर ध्यान केंद्रित करना।
CBDT ने जारी किया निर्देश
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने 18 अगस्त 2025 को एक आंतरिक सर्कुलर जारी किया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि यदि किसी व्यक्ति की विदेशी चल संपत्ति की कुल कीमत 20 लाख रुपये से कम है और उसने उसे जानबूझकर नहीं छुपाया है, तो उसके खिलाफ सेक्शन 49/50 के तहत फौजदारी कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि, यह छूट उन मामलों में नहीं मिलेगी जहां पहले से ही सेक्शन 42/43 के तहत जुर्माना लगाया जा चुका हो या लगाया जा सकता हो।
पहले क्या होता था?
अब से पहले, अगर कोई व्यक्ति विदेश में बैंक खाता या निवेश करता था। अगर उसकी वैल्यू सिर्फ 1-2 लाख रुपये ही क्यों न हो और उसने इसकी जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में नहीं दी, तो उसे लाखों रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता था और अपराधिक कार्रवाई भी हो सकती थी। यह स्थिति कई छोटे टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी मुश्किल बन चुकी थी, खासकर उन लोगों के लिए जो अनजाने में चूक कर देते थे।
किन्हें नहीं मिलेगी यह छूट?
• अगर आपके खिलाफ पहले से ही 1 अक्टूबर 2024 से पहले मुकदमा दर्ज है।
• अगर आपकी विदेशी संपत्ति की कीमत 20 लाख रुपये से अधिक है।
• अगर वह संपत्ति अचल संपत्ति है (जैसे विदेश में मकान या जमीन)।
• अगर विभाग को लगता है कि आपने जानबूझकर संपत्ति छिपाई है।
सरकार ने क्यों किया बदलाव?
इनकम टैक्स विभाग ने माना कि छोटी-छोटी गलतियों पर केस चलाना विभागीय संसाधनों की बर्बादी है और इससे असली अपराधी बच जाते हैं। बहुत से लोग केवल अनजाने में संपत्ति की जानकारी देना भूल जाते हैं, जबकि उनका उद्देश्य धोखाधड़ी नहीं होता। इसलिए अब विभाग का ध्यान केवल जानबूझकर बड़े पैमाने पर काला धन छिपाने वालों पर केंद्रित होगा, जिनकी संपत्तियां करोड़ों में हैं और जो सिस्टम का दुरुपयोग करते हैं।
कानून में बदलाव का असर
• टैक्स कंप्लायंस बढ़ेगा: लोग बिना डर के अपनी संपत्तियां घोषित कर पाएंगे।
• जांच प्रणाली होगी बेहतर: टैक्स अधिकारियों का ध्यान असली मामलों पर रहेगा।
• मामूली मामलों की क्लोजर: पुराने छोटे मामलों को भी समाप्त करने की प्रक्रिया तेज होगी।
• कानूनी डर होगा कम: ईमानदार टैक्सपेयर को बेवजह कोर्ट-कचहरी से राहत मिलेगी।
विशेषज्ञों की राय क्या कहती है?
कर विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम टैक्स प्रणाली में विश्वास बढ़ाएगा। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के अनुसार, बहुत से एनआरआई या विदेशों में काम करने वाले भारतीय छोटे निवेश करते हैं, लेकिन कभी-कभी उन्हें कानून की बारीकियां नहीं पता होतीं। अब ऐसे लोग डर के बिना सही जानकारी दे सकेंगे।
क्या करें अगर आपके पास ऐसी संपत्ति है?
अगर आपके पास विदेश में कोई बैंक खाता, शेयर या म्यूचुअल फंड निवेश और बॉन्ड या अन्य वित्तीय साधन हैं और उनकी कुल कीमत 20 लाख रुपये से कम है तो घबराएं नहीं। अगली बार आईटीआर भरते समय सही जानकारी दें और ईमानदारी से रिपोर्ट करें। सरकार का यही उद्देश्य है भरोसा बनाना, डर नहीं फैलाना।

