New Delhi: केंद्र सरकार ने आज यानी 11 अगस्त को संसद में संशोधित आयकर विधेयक 2025 को दोबारा पेश किया, जिसे देश की कर प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत किया, जो अब 1961 के आयकर अधिनियम की जगह लेगा। सरकार का उद्देश्य कर प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और अधिक प्रभावी बनाना है।
इससे पहले 9 अगस्त को जब यह विधेयक लोकसभा में पहली बार पेश किया गया था, तो कार्यवाही स्थगित होने के कारण उसे वापस ले लिया गया था। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि प्रवर समिति की सिफारिशों के आधार पर संशोधन करने के बाद ही यह विधेयक दोबारा पेश किया गया है।
लोकसभा प्रवर समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद बैजयंत पांडा द्वारा 285 सिफारिशें की गई थीं, जिनमें से सभी को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। इन सिफारिशों में कानूनी भाषा को सरल बनाना, करदाताओं के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश देना, और प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना शामिल है।
मुख्य सिफारिशें और बदलाव
कर वापसी (Tax Refund)
पुराने विधेयक में यह प्रावधान था कि समय सीमा तक आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करने पर टैक्स रिफंड नहीं मिलेगा। यह खंड करदाताओं के हित में नहीं था, इसलिए समिति ने इसे हटाने की सिफारिश की और अब यह संशोधित विधेयक में शामिल नहीं होगा।
अंतर-कॉर्पोरेट लाभांश (Inter-Corporate Dividend)
धारा 80M के तहत विशिष्ट कंपनियों को मिलने वाले लाभांश को लेकर पुराने विधेयक में अस्पष्टता थी। संशोधित विधेयक में इसे पुनः शामिल किया गया है।
शून्य टीडीएस प्रमाणपत्र (Zero TDS Certificate)
अब करदाताओं को उनके जमा कर के आधार पर शून्य टीडीएस सर्टिफिकेट प्राप्त करने का प्रावधान होगा, जिससे वे आय के स्रोत पर टैक्स कटौती से बच सकेंगे।
कानून की भाषा में सरलता और स्पष्टता
समिति ने क्रॉस-रेफरेंसिंग और कठिन कानूनी शब्दों को सरल करने की सिफारिश की थी, जिससे आम आदमी के लिए कानून समझना आसान हो।
सरकार का कहना है कि यह विधेयक मौजूदा आयकर ढांचे को पूरी तरह बदलने की बजाय उसे और उपयोगकर्ता-अनुकूल (user-friendly) और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है। सरकार कर सुधारों को लेकर प्रतिबद्ध है और यह विधेयक उसी प्रतिबद्धता का हिस्सा है।
अब यह संशोधित विधेयक संसद की समीक्षा और बहस के बाद कानून का रूप ले सकता है। इसे पारदर्शिता, स्पष्टता और डिजिटल इंडिया के विजन को समर्थन देने वाले बड़े आर्थिक सुधार के रूप में देखा जा रहा है।

