ISRO ने साल 2025 के आखिरी मिशन में BlueBird Block-2 कम्युनिकेशन सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह पूरी तरह कमर्शियल मिशन अमेरिकी कंपनी AST SpaceMobile के लिए था, जिसने वैश्विक स्पेस मार्केट में भारत की ताकत और बढ़ाई।

ISRO की बड़ी कामयाबी (Img source: Google)
New Delhi: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन Indian Space Research Organisation (ISRO) ने साल 2025 के अपने आखिरी मिशन में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। ISRO ने अमेरिकी कंपनी AST SpaceMobile के लिए पूरी तरह कमर्शियल मिशन के तहत BlueBird Block-2 कम्युनिकेशन सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया। इस मिशन के साथ भारत ने वैश्विक कमर्शियल स्पेस सेक्टर में अपनी विश्वसनीयता और तकनीकी क्षमता को और मजबूत किया है।
इस अहम मिशन के लिए ISRO ने अपने सबसे ताकतवर लॉन्च व्हीकल LVM3 का इस्तेमाल किया। यह LVM3 रॉकेट की छठी उड़ान थी और तीसरी बार इसका उपयोग पूरी तरह व्यावसायिक (Commercial) मिशन के लिए किया गया। भारी पेलोड उठाने की क्षमता और बेहतरीन सफलता दर के चलते LVM3 को ‘बाहुबली’ का नाम दिया गया है। इस लॉन्च में रॉकेट ने निर्धारित समय पर उड़ान भरी और सटीकता के साथ सैटेलाइट को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित किया।
BlueBird Block-2 एक अत्याधुनिक कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, जिसे खासतौर पर मोबाइल और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सैटेलाइट लो अर्थ ऑर्बिट में रहकर दूर-दराज और नेटवर्क से वंचित क्षेत्रों तक मोबाइल सिग्नल और इंटरनेट सेवाएं पहुंचाने में मदद करेगा।
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AST SpaceMobile का लक्ष्य ऐसे सैटेलाइट नेटवर्क तैयार करना है, जिससे सीधे सामान्य स्मार्टफोन पर सैटेलाइट कनेक्टिविटी संभव हो सके, और BlueBird Block-2 इस दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
यह मिशन ISRO के लिए सिर्फ एक लॉन्च नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती कमर्शियल स्पेस पावर का प्रतीक है। विदेशी कंपनियों के लिए सफल और भरोसेमंद लॉन्च सर्विस देकर भारत अब अमेरिका, यूरोप और अन्य स्पेस एजेंसियों के साथ मजबूती से प्रतिस्पर्धा कर रहा है।
कम लागत, उच्च तकनीकी सटीकता और समय पर मिशन पूरा करने की क्षमता के चलते ISRO अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों की पहली पसंद बनता जा रहा है।
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BlueBird Block-2 की सफलता से आने वाले वर्षों में ISRO को और ज्यादा कमर्शियल लॉन्च कॉन्ट्रैक्ट मिलने की उम्मीद है। इससे न सिर्फ भारत की स्पेस इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि निजी स्पेस स्टार्टअप्स और तकनीकी इनोवेशन को भी नई दिशा मिलेगी।
ISRO के लिए यह मिशन साल 2025 का शानदार समापन साबित हुआ है और आने वाले समय में भारत को ग्लोबल स्पेस हब बनाने की दिशा में यह एक मजबूत कदम माना जा रहा है।