New Delhi: केंद्र सरकार आज यानी सोमवार, 11 अगस्त 2025 को लोकसभा में नया आयकर विधेयक 2025 पेश करने जा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यह विधेयक सदन में रखेंगी, जिसमें प्रवर समिति द्वारा सुझाए गए 285 संशोधनों को पूरी तरह शामिल किया गया है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने यह जानकारी दी और इसे संसद की एक सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण प्रक्रिया बताया।
इस विधेयक की प्रारंभिक प्रस्तुति 13 फरवरी 2025 को हुई थी, जिसके बाद इसे विस्तृत समीक्षा के लिए भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय प्रवर समिति को भेजा गया। समिति ने गहन समीक्षा के बाद 21 जुलाई 2025 को अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें कई व्यवहारिक और कानूनी संशोधनों का सुझाव दिया गया। सरकार ने लगभग सभी सुझावों को स्वीकार कर लिया है।
सरल और संक्षिप्त बना नया कानून
आयकर विधेयक 2025 का उद्देश्य करदाताओं के लिए कर प्रक्रिया को सरल और स्पष्ट बनाना है। यह 1961 के मौजूदा आयकर अधिनियम के मुकाबले आकार में लगभग आधा है।
नए विधेयक में शब्दों की संख्या घटाकर 2.6 लाख कर दी गई है, जबकि मौजूदा अधिनियम में यह संख्या 5.12 लाख थी।
धाराओं की संख्या भी घटाकर 536 की गई है, जो वर्तमान में 819 हैं।
अध्यायों की संख्या 47 से घटाकर 23 और 1200 से अधिक प्रावधानों तथा 900 स्पष्टीकरणों को हटाया गया है।
इस सरलीकरण का उद्देश्य मुकदमेबाजी और अस्पष्टता को कम करना और कर प्रणाली में विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ाना है।
कर वर्ष की नई परिभाषा
नए विधेयक का एक प्रमुख परिवर्तन यह है कि इसमें ‘पिछले वर्ष’ और ‘आकलन वर्ष’ की पारंपरिक अवधारणाएं समाप्त कर दी गई हैं। इसके स्थान पर ‘कर वर्ष’ की अवधारणा को शामिल किया गया है, जिससे करदाताओं को यह स्पष्ट रहेगा कि जिस वर्ष आय अर्जित होगी, उसी वर्ष कर जमा करना होगा। इससे कर प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और जटिलताओं में कमी आएगी।
विशेष ध्यान गैर-लाभकारी संगठनों पर
नए विधेयक में गैर-लाभकारी संगठनों के लिए विशेष अध्याय को सरल भाषा और स्पष्ट नियमों के साथ शामिल किया गया है। इसके अलावा टीडीएस/टीसीएस प्रावधानों को भी तालिका के रूप में व्यवस्थित किया गया है, जिससे अनुपालन में आसानी होगी।