Gandhinagar: गुजरात एटीएस ने 8 नवंबर 2025 को संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया। इनमें अहमद मोहिउद्दीन सैयद नाम का एक डॉक्टर भी शामिल है, जिसके पास से राइसिन जहर बरामद किया गया है। जानकारों की मानें तो राइसिन जहर सबसे घातक माना जाता हैं। इसी जहर के जरिए, 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को 2013 में जान से मारने की कोशिश की गई थी। सूत्रों के अनुसार, यह जहर दो बार ओबामा को भेजे गए लिफाफों में खत के अंदर छिड़के हुए पाउडर के रूप में पाया गया था।
राइसिन आसानी से बनाए जाने वाला घातक सफेद पाउडर है। इसे इंजेक्शन से, खाने में मिलाकर या किसी वस्तु के ऊपर छिड़क कर सांस के जरिए दिया जा सकता हैं। सांस के जरिए, इसे देने का तरीका सबसे खतरनाक होता है, जिससे एक ही समय में कई लोगों को निशाना बनाया जा सकता है। इसकी चपेट में आते ही 48 से 72 घंटे में इंसान की मौत हो जाती है। सबसे बड़ी बात यह है कि दुनिया में अभी तक न इसकी कोई दवा बनी, न हीं एंटीडोट बना है।
कैसे बनता है राइसिन जहर?
राइसिन जहर अरंडी के बीज में जहरीला प्रोटीन रिसिन होता है। अरंडी के इस बीज में 5 से 10 प्रतिशत तक रिसिन हो सकता है। राइसिन जहर जिस भी कोशिका के संपर्क में आता है, उसके अंदर प्रोटीन सिंथेसिस बंद कर देता है, जिससे कोशिका मर जाती है। यह जहर शरीर के कोशिकाओं को घातक पहुंचाता है। राइसिन कोशिकाओं की प्रोटीन बनाने की क्षमता तो कम कर देता है जिससे शरीर का क्रियान्वयन रुक जाता हैं। जिससे व्यक्ति की मौत हो जाती है। अगर किसी कारण से कोई व्यक्ति बच भी जाए तो उसके कई अंग स्थायी रुप से बेकार हो जाते हैं।
शोध के अनुसार, सिर्फ टीकाकरण की राइसिन के मौत को रोक सकता है। जहर का शिकार होने के चार घंटे के अंदर इलाज मिल पाए, तब शायद इंसान के बचने की उम्मीद होती है।
जहर की कितनी मात्रा शरीर के लिए घातक?
खाना में मिला राइसिन जहर स्लो पॉइजन की तरह काम करता है, जो कम घातक होता है। यदि यह जहर सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाए या इंजेक्शन के रूप में दिया जाए, तो इसकी हजारवें हिस्से जितनी मात्रा भी घातक साबित हो सकती है। एक आम इंसान को मारने के लिए केवल 1.78 मिलीग्राम राइसिन काफी है।
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राइसिन जहर का कब-कब हुआ इस्तेमाल
राइसिन जहर का इस्तेमाल मुख्यत: जासूसी और युद्ध में इस्तेमाल होते रहा है। इकोनॉमिक सर्वे के अनुमार, दुनिया भर में हर साल 10 लाख टन से ज्यादा अरंडी के बीज तैयार होते हैं। वाणिज्यिक उत्पादन से लगभग 50,000 टन शुद्ध राइसिन प्राप्त किया जा सकता है। राइसिन कमरे के तापमान पर अत्यंत स्थायी रहता है।

