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चुनाव विश्लेषक संजय कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, वोटर लिस्ट विवाद में गिरफ्तारी पर लगी रोक

चुनाव विश्लेषक और लोकनीति-CSDS के निदेशक संजय कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। वोटर लिस्ट को लेकर गलत आंकड़े ट्वीट करने के मामले में उनके खिलाफ नागपुर और नासिक में दर्ज एफआईआर पर कोर्ट ने रोक लगा दी है। संजय कुमार ने ट्वीट हटाकर माफी मांगी थी।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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चुनाव विश्लेषक संजय कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, वोटर लिस्ट विवाद में गिरफ्तारी पर लगी रोक

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वरिष्ठ चुनाव विश्लेषक और लोकनीतिCSDS के निदेशक प्रोफेसर संजय कुमार को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने उनके खिलाफ नागपुर और नासिक में दर्ज एफआईआर पर अंतरिम रोक लगा दी है। ये एफआईआर संजय कुमार द्वारा ट्विटर पर मतदाता सूची से जुड़ा एक गलत आंकड़ा साझा करने को लेकर दर्ज की गई थीं। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने महाराष्ट्र सरकार और शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

क्या है मामला?

संजय कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची का विश्लेषण करते हुए ट्विटर पर दावा किया था कि रामटेक विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या में 38.45% और देवलाली क्षेत्र में 36.82% की कमी आई है। उन्होंने इन आंकड़ों को “चिंताजनक और जांच योग्य” बताया था। हालांकि बाद में, जब इन आंकड़ों की सच्चाई पर सवाल उठे, तब उन्होंने संबंधित ट्वीट हटा लिए और सार्वजनिक तौर पर माफी मांगते हुए स्पष्ट किया कि यह आंकड़े उनकी टीम द्वारा गलत तरीके से पढ़े गए थे।

एफआईआर का विवरण

इस ट्वीट को लेकर संजय कुमार के खिलाफ नागपुर के रामटेक थाने में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं 175, 353(1)(बी), 212 और 340(1)(2) के तहत मामला दर्ज किया गया। साथ ही, नासिक के सरकारवाड़ा पुलिस स्टेशन में भी उनके खिलाफ एक अलग मामला दर्ज हुआ, जिसमें उन पर मतदाता धांधली के झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया गया।

संजय कुमार का पक्ष

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में संजय कुमार ने कहा कि वे पिछले 30 वर्षों से चुनाव विश्लेषण के क्षेत्र में सक्रिय हैं और अब तक उनके खिलाफ किसी प्रकार की शिकायत नहीं रही है। उन्होंने यह भी बताया कि जो आंकड़े साझा किए गए थे, वे एक त्रुटिपूर्ण डेटा व्याख्या का परिणाम थे, न कि किसी षड्यंत्र या दुष्प्रचार का हिस्सा। संजय कुमार ने इस गलती के लिए सार्वजनिक रूप से माफी भी मांग ली थी।

उन्होंने कोर्ट से यह भी निवेदन किया कि उनके खिलाफ की गई एफआईआर और संभावित कार्रवाई न केवल उनके पेशेवर जीवन पर प्रभाव डाल सकती है, बल्कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वतंत्र चुनाव विश्लेषण पर भी हमला माना जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रारंभिक दृष्टि से यह मामला मानव त्रुटि का प्रतीत होता है और चूंकि संजय कुमार ने माफी मांग ली है, ऐसे में तत्काल कोई दंडात्मक कार्रवाई उचित नहीं है। कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए दोनों एफआईआर पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी है

अब आगे क्या?

अब इस मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होनी है, जिसमें महाराष्ट्र सरकार और दोनों शिकायतकर्ताओं को जवाब दाखिल करना होगाकोर्ट तब तय करेगा कि मामला खारिज किया जाए या आगे बढ़ाया जाए

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