New Delhi: दहेज प्रथा आज भी भारत में एक गंभीर सामाजिक बुराई के रूप में कायम है। यह प्रथा महिलाओं के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देती है और परिवारों में कई बार जानलेवा परिणाम भी सामने आते हैं। हालांकि सरकार ने दहेज प्रथा को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए हैं और कई योजनाएं चलाई हैं, लेकिन दहेज उत्पीड़न के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे। एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट इस कड़वी हकीकत को उजागर करती है कि हर दिन कितनी महिलाएं इस दुष्प्रथा का शिकार बन रही हैं और कितनी अपनी जान गंवा रही हैं।
NCRB की रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में दहेज हत्या के 6,450 मामले दर्ज हुए, जो प्रतिदिन लगभग 18 महिलाओं की मौत के बराबर हैं। वहीं, अदालतों में दहेज हत्या के कुल 60,577 मामले लंबित थे, जिनमें से सिर्फ 33 प्रतिशत मामलों में ही सज़ा मिली है। यह दिखाता है कि दहेज प्रथा को रोकने में न्याय व्यवस्था भी पूरी तरह से प्रभावी नहीं हो पा रही है।
महिलाओं पर हिंसा के भयावह तथ्य
एक रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 18 से 49 वर्ष की उम्र की लगभग 29 प्रतिशत महिलाओं को अपने पति द्वारा शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करना पड़ा है। साथ ही, 21.3 प्रतिशत महिलाओं ने शरीर में चोट और कटने की शिकायत की, जबकि 7.1 प्रतिशत महिलाओं को आंखों में चोटें, मोच या जलन हुई।
गंभीर चोटों की बात करें तो 6.5 प्रतिशत महिलाओं को टूटी हड्डियां, गहरे घाव, या टूटे हुए दांतों जैसी चोटें आईं। लगभग 3.4 प्रतिशत महिलाओं को गंभीर जलने की चोटें भी मिलीं। कुल मिलाकर, 24 प्रतिशत महिलाओं को हिंसा के कारण विभिन्न प्रकार की चोटें आई हैं।
कौन से राज्य दहेज हत्याओं में सबसे आगे?
उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य दहेज हत्याओं के मामले में देश में सबसे अधिक संख्या दर्ज करते हैं। 2022 में उत्तर प्रदेश में 2,218 दहेज हत्या के मामले सामने आए, जो देश में सबसे अधिक हैं। इसके बाद बिहार (1,057) और मध्य प्रदेश (518) का स्थान है। इन राज्यों में दहेज प्रथा की जड़ें गहरी हैं, जहां महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
निक्की भाटी की दर्दनाक मौत
हाल ही में ग्रेटर नोएडा से दहेज उत्पीड़न की एक भयानक घटना सामने आई, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। 28 वर्षीय निक्की भाटी को उसके पति विपिन भाटी और सास दया ने कथित तौर पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा दी। इसके बाद निक्की की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई।
यह घटना इस बात पर सवाल उठाती है कि इतने सख्त कानून होने के बावजूद महिलाओं की सुरक्षा क्यों सुनिश्चित नहीं हो पा रही है। निक्की का मामला महिलाओं के खिलाफ हो रही बढ़ती हिंसा का एक दुखद उदाहरण है।