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Chhath Puja 2025: छठ पूजा का जश्न विदेशों में भी, लंदन से दुबई तक गूंज रही है भक्ति की झंकार

छठ पूजा अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही। लंदन, दुबई, न्यूयॉर्क और सिंगापुर जैसे देशों में प्रवासी भारतीय अपने नए घरों में भी घाट सजाकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह पर्व भक्ति, संस्कृति और समुदाय का प्रतीक बन चुका है।
Post Published By: Tanya Chand
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Chhath Puja 2025: छठ पूजा का जश्न विदेशों में भी, लंदन से दुबई तक गूंज रही है भक्ति की झंकार

New Delhi: छठ पूजा केवल बिहार, झारखंड या पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रही। दुनिया के विभिन्न देशों में बसे प्रवासी भारतीय अपने नए घरों में भी इस पर्व को पूरी श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाते हैं। लंदन, न्यूयॉर्क, दुबई, सिंगापुर और अन्य देशों में भारतीय समुदाय ने अपने ठिकानों पर छठ के लिए विशेष रूप से अस्थायी घाट तैयार किए हैं।

अस्थायी घाट और पूजा स्थल

मिली जानकारी के अनुसार, विदेशों में प्राकृतिक जल स्रोत की कमी के कारण प्रवासी समुदाय कृत्रिम तालाब या पानी के बड़े टैंक का इस्तेमाल करता है। इन घाटों पर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। स्थानीय प्रशासन और कम्युनिटी सेंटर भी इस पर्व के आयोजन में सहयोग करते हैं। इन घाटों पर भारत के घाटों जैसी ही परंपरा और भव्यता देखी जा सकती है।

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भक्ति और संस्कृति का संगम

घाटों पर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने की परंपरा वही रहती है जो भारत में है। परिवार और मित्र मिलकर पूजा करते हैं, ठेकुआ और कसार बनाते हैं और पारंपरिक छठ गीत गाते हैं। यह सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रवासी भारतीयों की सांस्कृतिक पहचान और समुदाय के प्रतीक के रूप में भी महत्वपूर्ण है। इस दौरान लोग अपने बच्चों को भी छठ पूजा की परंपरा सिखाते हैं।

बच्चों और नई पीढ़ी का जुड़ाव

बता दें कि विदेशों में जन्मे बच्चे अपने माता-पिता के साथ घाटों पर भाग लेते हैं। वे पारंपरिक परिधान पहनते हैं, लोकगीत सीखते हैं और अर्घ्य अर्पित करने में हिस्सा लेते हैं। इससे नई पीढ़ी में संस्कृति का हस्तांतरण सुनिश्चित होता है और छठ पूजा की परंपरा जीवित रहती है।

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सामाजिक पहल और कार्यक्रम

कुछ देशों में भारतीय समुदाय इस अवसर पर सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम भी आयोजित करता है। इनमें संगीत, नाटक और रेसिपी वर्कशॉप शामिल हैं। इन आयोजनों से छठ पूजा की महत्ता और अधिक लोगों तक पहुँचती है और स्थानीय लोग भी भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूक होते हैं।

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