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अशोक सिद्धार्थ की BSP में वापसी: मायावती ने आकाश आनंद के ससुर को किया माफ, जानें क्या है पूरा माजरा?

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद के ससुर और पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित करने के बाद अब माफ कर दिया है। इससे फैसले के बाद पार्टी में दोबाार हलचल मच गई है।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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अशोक सिद्धार्थ की BSP में वापसी: मायावती ने आकाश आनंद के ससुर को किया माफ, जानें क्या है पूरा माजरा?

New Delhi: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक बड़ा राजनीतिक फैसला लेते हुए पूर्व राज्यसभा सांसद और अपने भतीजे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी में वापस ले लिया है। अशोक सिद्धार्थ को फरवरी 2025 में पार्टी विरोधी गतिविधियों और गुटबाजी के आरोपों में बीएसपी से निष्कासित कर दिया गया था। लेकिन अब उनकी सार्वजनिक माफी और पार्टी के प्रति नई प्रतिबद्धता को देखते हुए मायावती ने उन्हें माफ कर दिया है।

सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी जानकारी

दरअसल, शनिवार को मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” (पूर्व में ट्विटर) पर एक विस्तृत पोस्ट साझा करते हुए बताया कि अशोक सिद्धार्थ ने सार्वजनिक रूप से अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वे आगे पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ बीएसपी मूवमेंट को आगे बढ़ाएंगे और बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के मिशन के लिए कार्य करेंगे।

इसके साथ ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने पोस्ट में लिखा, “अशोक सिद्धार्थ को उनकी गलतियों का पछतावा पहले ही हो गया था, लेकिन आज उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने किए पर शर्मिंदगी जाहिर करते हुए माफी मांगी है। ऐसे में पार्टी और मूवमेंट के हित में उन्हें एक मौका देना उचित समझा गया है। इसी के तहत उनका निष्कासन आज से तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाता है।”

समर्पित कार्यकर्ता की तरह करेंगे काम

उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि अशोक सिद्धार्थ पार्टी के अन्य समर्पित कार्यकर्ताओं की तरह ही तन, मन और धन से बीएसपी को मजबूत करने में जुट जाएंगे। उन्होंने कहा कि अशोक सिद्धार्थ को यह मौका पार्टी की एकता और बहुजन समाज के हित में दिया गया है।

कौन हैं अशोक सिद्धार्थ?

बता दें कि अशोक सिद्धार्थ एक समय बीएसपी के प्रमुख रणनीतिकारों में गिने जाते थे। वे राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं और पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। लेकिन गुटबाजी और नेतृत्व के खिलाफ असहमति जताने के चलते उन्हें निष्कासित कर दिया गया था। निष्कासन के बाद से ही वे विभिन्न मंचों पर अपनी माफी और पार्टी में पुनः शामिल होने की इच्छा प्रकट कर रहे थे।

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