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काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में कार्तिक एकादशी पर उमड़ी लाखों की भीड़ ने अफरातफरी मचा दी। 2,000 की क्षमता वाले मंदिर में 25,000 श्रद्धालुओं के पहुंचने से रैलिंग टूटी और भगदड़ मच गई। यह वही मंदिर है जिसे “पूर्व का तिरुपति” कहा जाता है।
वेंकटेश्वर मंदिर हादसा
Andhra Pradesh: श्रीकाकुलम जिले में स्थित काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में शनिवार को कार्तिक एकादशी के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भक्ति और आस्था से भरा यह पर्व एक पल में दर्दनाक हादसे में बदल गया, जब मंदिर परिसर में भगदड़ मच गई। इस त्रासदी में कम से कम 9 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जबकि प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा है।
स्थानीय प्रशासन और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मंदिर की क्षमता लगभग 2,000 से 3,000 श्रद्धालुओं की है, लेकिन कार्तिक एकादशी जैसे शुभ अवसर पर करीब 25,000 से अधिक लोग दर्शन के लिए पहुंच गए थे। सुबह से ही भीड़ बढ़ती जा रही थी और जब भक्तों की कतारें मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंचीं, तो रैलिंग टूट गई। इसके बाद श्रद्धालु एक-दूसरे पर गिर पड़े और देखते ही देखते स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।
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भीड़ बढ़ने के बावजूद प्रशासन की ओर से भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था अपर्याप्त थी। स्थानीय सूत्रों ने बताया कि मंदिर प्रबंधन ने अधिक संख्या में श्रद्धालु आने की संभावना जताई थी, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने पर्याप्त इंतजाम नहीं किए। वहीं, कई श्रद्धालु दर्शन के लिए अलग-अलग दिशाओं से प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे, जिससे भगदड़ की स्थिति और गंभीर हो गई।
अधिकारियों ने माना कि भीड़ प्रबंधन में लापरवाही इस हादसे का प्रमुख कारण रही। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि 'श्रद्धालुओं की मौत अत्यंत दुखद और हृदयविदारक है।' उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिया है कि घायलों को तुरंत इलाज मिले और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सुरक्षा मानकों को और कड़ा किया जाए।
काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर को दक्षिण भारत में "पूर्व का तिरुपति" कहा जाता है। यह मंदिर लगभग 600 साल पुराना है और भगवान विष्णु के अवतार भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है। माना जाता है कि भगवान विष्णु ने यहां स्वयं दिव्य स्वरूप में प्रकट होकर भक्तों को दर्शन दिए थे।
काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
मंदिर का निर्माण विजयनगर साम्राज्य के शासनकाल में हुआ था और इसकी द्रविड़ शैली की स्थापत्य कला इसे ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अद्वितीय बनाती है। मंदिर के ऊंचे गोपुरम, पत्थर की नक्काशियां और गर्भगृह में स्थापित काले पत्थर की मूर्ति इसकी भव्यता को दर्शाती है।
यह मंदिर हर एकादशी पर हजारों श्रद्धालुओं से भर जाता है, लेकिन कार्तिक एकादशी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान वेंकटेश्वर की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रद्धालु पहले पास की नागावली नदी में स्नान करते हैं और फिर मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
इस मौके पर मंदिर में भक्ति संगीत, विशेष आरती और प्रसाद वितरण का आयोजन होता है। दूर-दूर से आए भक्त अपने परिवार के साथ इस उत्सव का हिस्सा बनते हैं। लेकिन इस बार भक्तों की संख्या इतनी अधिक हो गई कि मंदिर परिसर की सीमित जगह में व्यवस्था चरमरा गई और स्थिति भयावह बन गई।
काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह दक्षिण भारत की संस्कृति और आस्था का प्रतीक भी है। यहां भगवान वेंकटेश्वर के साथ देवी पद्मावती और विष्णु के अन्य रूपों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से यहां दर्शन करता है, उसके जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और शांति आती है।
मंदिर परिसर में सालभर ब्रह्मोत्सव, वैकुंठ एकादशी और कार्तिक एकादशी जैसे कई भव्य उत्सव मनाए जाते हैं। इन आयोजनों में हजारों भक्त हिस्सा लेते हैं, जिससे यह स्थान क्षेत्रीय पर्यटन और धार्मिक आस्था का केंद्र बन गया है।
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Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं, डाइनामाइट न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है।
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