तिरुपति में अष्ट सिद्धि महा यज्ञ में उमड़ा आस्था का सागर, ब्रह्मर्षि आश्रम बना आध्यात्मिक चेतना का केंद्र

तिरुपति के ब्रह्मर्षि आश्रम में आयोजित अष्ट सिद्धि महा यज्ञ का भव्य समापन हुआ। देशभर से हजारों श्रद्धालुओं ने साधना, सेवा और भक्ति में भाग लिया। गुरुदेव ने समानता, करुणा और मानवता की सेवा का संदेश दिया। देखिए पूरा जानकारी केवल डाइनामाइट न्यूज़ पर।

Post Published By: ईशा त्यागी
Updated : 27 December 2025, 5:22 PM IST

Tirupati: भारत के सबसे पवित्र आध्यात्मिक स्थलों में शामिल तिरुपति एक बार फिर दिव्यता और भक्ति के अद्भुत संगम का साक्षी बना। ब्रह्मर्षि आश्रम में आयोजित श्री अष्ट लक्ष्मी महायज्ञ, जिसे अष्ट सिद्धि महा यज्ञ के नाम से भी जाना जाता है, का आज विधिवत समापन हुआ। यह विशाल आध्यात्मिक आयोजन सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव के पावन मार्गदर्शन में संपन्न हुआ, जिसमें देशभर से हजारों श्रद्धालुओं ने सहभागिता की।

भक्ति, ध्यान और सेवा का जीवंत केंद्र बना आश्रम

डायनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, महायज्ञ के दौरान पूरा ब्रह्मर्षि आश्रम भक्ति, साधना और सेवा की भावना से ओतप्रोत नजर आया। वैदिक मंत्रोच्चार, यज्ञ की पवित्र अग्नि और सामूहिक साधना ने वातावरण को अत्यंत आध्यात्मिक बना दिया। श्रद्धालु न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा से जुड़ते दिखे, बल्कि आंतरिक शांति और आत्मिक जागृति का अनुभव करते नजर आए।

वैदिक ज्ञान में निहित अष्ट सिद्धि महा यज्ञ

अष्ट सिद्धि महा यज्ञ की जड़ें प्राचीन वैदिक परंपराओं में गहराई से जुड़ी हुई हैं। इस यज्ञ का मूल उद्देश्य आत्म-जागरण, आत्म-नियंत्रण और सार्वभौमिक कल्याण है। योग शास्त्रों में वर्णित अष्ट सिद्धियां अणिमा, महिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व और कामावसायिता मानव चेतना की उच्चतम अवस्थाओं का प्रतीक मानी जाती हैं।

भक्ति की भावना में लीन श्रोता

सिद्धियां नहीं, सेवा ही लक्ष्य: गुरुदेव

सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव ने अपने प्रवचनों में बार-बार इस बात पर जोर दिया कि अष्ट सिद्धियां स्वयं में लक्ष्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ये शक्तियां केवल आत्म-साक्षात्कार और मानव सेवा के लिए साधन हैं। गुरुदेव के वचनों ने श्रद्धालुओं को यह संदेश दिया कि सच्ची आध्यात्मिकता अहंकार नहीं, बल्कि सेवा और करुणा से जन्म लेती है।

समानता और करुणा का प्रेरणादायक संदेश

यज्ञ के सातवें दिन गुरुदेव का संदेश विशेष रूप से प्रभावशाली रहा। उन्होंने कहा कि मानवता की सेवा ही सच्ची सेवा है और गरीबों का कल्याण ही सच्चा धर्म है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिए अमीर और गरीब में कोई भेद नहीं है। जो सक्षम हैं, उन्हें इसलिए आगे बढ़ाया जाता है ताकि वे समाज के अन्य वर्गों की सेवा कर सकें। “हम साथ हैं” का सामूहिक उद्घोष पूरे आयोजन की आत्मा बन गया।

तिरुपति में अष्ट लक्ष्मी महायज्ञ का शुभारंभ, सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव ने दिया आर्शीवाद

भव्य देव दीपावली ने रच दिया दिव्य दृश्य

महा यज्ञ के सबसे आकर्षक और भावनात्मक क्षणों में से एक देव दीपावली का आयोजन रहा। सातवें दिन हजारों दीपों से सजा ब्रह्मर्षि आश्रम प्रकाश की दिव्य आभा से जगमगा उठा। यह दृश्य अंधकार पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक बन गया। श्रद्धालुओं ने इसे दिव्य चेतना और एकता के महोत्सव के रूप में मनाया।

अनुशासित दिनचर्या और साधना का संगम

महायज्ञ के दौरान, एक सुव्यवस्थित और अनुशासित दिनचर्या का पालन किया गया। दिन की शुरुआत प्रभात फेरी, ध्यान, योग और प्राणायाम से होती थी। दिन में पूजा-अर्चना, महालक्ष्मी साधना, यज्ञ प्रशिक्षण, मंत्र जाप, आध्यात्मिक खेल और आत्म-जागरूकता पर आधारित प्रेरक सत्र आयोजित किए गए।

दिव्य प्रवचन से एकजुट पवित्र स्थान

संध्या आरती और गुरु दर्शन से बना आध्यात्मिक वातावरण

शाम के समय पवित्र मंदिरों में आरती, गुरु दर्शन, महा आरती और कल्याणकारी प्रार्थनाओं का आयोजन किया जाता था। इन कार्यक्रमों ने भक्तों को गहरे आध्यात्मिक जुड़ाव का अनुभव कराया और पूरे आश्रम में सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया।

विशेष आयोजनों ने बढ़ाई महायज्ञ की भव्यता

पालकी यात्रा, अष्ट लक्ष्मी स्थापना, महालक्ष्मी के दिव्य दर्शन, ज्योति प्रज्वलन, गौ दान और रोशनी के पर्व जैसे विशेष आयोजनों ने इस महायज्ञ को और भी भव्य बना दिया। हर आयोजन में श्रद्धालुओं की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली।

आशीर्वाद और प्रसाद के साथ पावन समापन

महायज्ञ का समापन महालक्ष्मी प्रसाद वितरण, गुरु दर्शन और महा आशीर्वाद के साथ हुआ। अंतिम दिन किसी अंत का नहीं, बल्कि उस आध्यात्मिक संकल्प की निरंतरता का प्रतीक था, जिसे श्रद्धालु अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेकर लौटे सेवा, एकता और आंतरिक परिवर्तन के मार्ग पर आगे बढ़ने का।

Location : 
  • Tirupati

Published : 
  • 27 December 2025, 5:22 PM IST