Bhadrapada Amavasya 2025: 22 या 23 अगस्त? जानें शुभ मुहूर्त, पितृ तर्पण और दान का महत्व

हिंदू धर्म में अमावस्या का दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है, खासकर पितरों की आत्मा की शांति और उन्हें याद करने के लिए। इस साल भाद्रपद मास की अमावस्या को लेकर लोगों में खासा उत्साह और जिज्ञासा है। यह अमावस्या 22 और 23 अगस्त 2025 के बीच पड़ रही है, जिससे तिथि को लेकर विवाद बना हुआ है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 17 August 2025, 3:38 PM IST

New Delhi: वैदिक ज्योतिष और पंचांग के अनुसार भाद्रपद अमावस्या 22 अगस्त को सुबह 11:55 बजे से शुरू होकर अगले दिन 23 अगस्त की सुबह 11:35 बजे तक रहेगी। हालांकि, हिंदू धार्मिक ग्रंथों और लोक आस्था के अनुसार, अमावस्या की तिथि सूर्योदय से मानी जाती है। इसलिए 23 अगस्त की सुबह सूर्योदय के बाद अमावस्या मानी जाएगी। इस वजह से यह दिन शनिश्चरी अमावस्या कहलाएगा क्योंकि यह शनिवार के दिन पड़ रही है।

शनिश्चरी अमावस्या का धार्मिक महत्व बहुत अधिक माना जाता है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। इसी कारण श्रद्धालु इस दिन तीर्थ स्नान, पितृ तर्पण, पिंडदान और दान जैसे महत्वपूर्ण कर्म करते हैं।

भाद्रपद अमावस्या का धार्मिक महत्व

अमावस्या के दिन माना जाता है कि पितृ लोक से पितर अपने परिवार वालों के पास आते हैं और अन्न-जल के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। इसलिए इस दिन पितृ तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा, शनिश्चरी अमावस्या होने के कारण शनिदेव की पूजा भी अत्यंत फलदायी मानी जाती है। शनिदोष से पीड़ित लोग इस दिन विशेष पूजा-अर्चना कर शनि दोष से मुक्ति प्राप्त करते हैं।

अमावस्या पर करें ये 5 शुभ कार्य

स्नान और तिल प्रवाह: प्रातःकाल नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और तिल बहते जल में प्रवाहित करें। इससे पितरों को शांति मिलती है और पुण्य फल प्राप्त होता है।

पीपल के नीचे दीपक जलाएं: अमावस्या की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और सात परिक्रमा लगाएं। साथ ही अपने पितरों का स्मरण करें।

पिंडदान और दान: नदी के तट पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करें। साथ ही किसी गरीब व्यक्ति, ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान दें। दान का पुण्य अमावस्या के दिन कई गुना बढ़ जाता है।

कालसर्प दोष निवारण: यदि किसी पर कालसर्प दोष हो, तो अमावस्या के दिन विशेष पूजा-अर्चना कर इसे शांत किया जा सकता है।

शनि देव की पूजा: शनिश्चरी अमावस्या पर शनि देव की पूजा करने से शनि दोष कम होता है और जीवन में सुख-शांति आती है।

तिथि विवाद और समझदारी से करें पूजा

अमावस्या की तिथि को लेकर 22 या 23 अगस्त को लेकर भ्रम हो सकता है, लेकिन ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्योदय के बाद की तिथि को अमावस्या माना जाता है। इसलिए श्रद्धालुओं को चाहिए कि वे 23 अगस्त को अमावस्या के रूप में मनाएं और इस दिन की महत्ता को समझते हुए धार्मिक अनुष्ठान करें।

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  • 17 August 2025, 3:38 PM IST