पाकिस्तानी नागरिकों का विदेशों में भीख मांगना एक संगठित समस्या बन गई है। सरकार ने पासपोर्ट रद्द, यात्रा प्रतिबंध और कड़े कानूनों के जरिए इस चुनौती का सामना किया है। सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों में कार्रवाई जारी है।

पाक भिखारी ने विदेशों में मचाया आतंक!
Saudi Arabia: विदेशों में पाकिस्तानी नागरिकों के भीख मांगने का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। पहले यह व्यक्तिगत गरीबी और पलायन की समस्या लग रही थी, लेकिन अब यह एक बड़े पैमाने पर संगठित नेटवर्क के रूप में सामने आ रही है। इसने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदा किया है और सरकार को कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर किया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, विदेशों में पकड़े गए लगभग 90% भिखारी पाकिस्तान मूल के हैं। यह आंकड़ा केवल व्यक्तिगत गरीबी की समस्या नहीं बल्कि संगठित नेटवर्क की ओर संकेत करता है। कई मामलों में लोग उमराह, पर्यटन और वर्क वीजा का इस्तेमाल करके विदेश जाते हैं और वहां पहुंचकर भीख मांगने लगते हैं। पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि यह समस्या देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को प्रभावित कर रही है और इसे रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
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सऊदी अरब इस मुद्दे से सबसे ज्यादा प्रभावित देश बनकर उभरा है। अकेले 2025 में सऊदी अधिकारियों ने भीख मांगने के आरोप में 56,000 पाकिस्तानी नागरिकों को निर्वासित किया। इनमें से अधिकांश मक्का और मदीना के धार्मिक स्थलों के पास पकड़े गए। सऊदी अधिकारियों का कहना है कि यह सिर्फ धार्मिक स्थलों की सुरक्षा का मामला नहीं बल्कि सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने का भी मुद्दा है।
यह समस्या सिर्फ सऊदी अरब तक ही सीमित नहीं है। संयुक्त अरब अमीरात ने लगभग 6,000 पाकिस्तानी भिखारियों को देश से निकाल दिया, जबकि अज़रबैजान ने लगभग 2,500 को वापस भेजा। जांच में सामने आया है कि कई लोग मस्जिदों और सार्वजनिक स्थलों के पास शिफ्ट में भीख मांगने का काम कर रहे हैं। यह स्पष्ट रूप से एक संगठित गतिविधि का संकेत है।
पाकिस्तानी नागरिक जो विदेश यात्रा करते हैं, उनमें से कई अचानक गायब हो जाते हैं। 2025 में लगभग 24,000 पाकिस्तानी कंबोडिया गए, लेकिन उनमें से 12,000 वापस नहीं लौटे। इसी तरह म्यांमार जाने वाले 4,000 में से लगभग 2,500 का कोई पता नहीं चला। पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कई लोग मानव तस्करी रैकेट या अवैध विदेशी ऑपरेशंस में फंस सकते हैं। यह स्थिति सरकार और विदेश मंत्रालय के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
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पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है। 2,000 से अधिक निर्वासित भिखारियों के पासपोर्ट पहले ही निलंबित कर दिए गए हैं, जबकि 7,800 पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया में हैं। इन लोगों पर सात साल तक विदेश यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा, सरकार ने प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग ऑफ माइग्रेंट्स (अमेंडमेंट) बिल 2025 पेश किया है। इसके तहत जबरन भीख मांगने और मानव तस्करी में शामिल एजेंटों के लिए 10 साल तक की जेल और भारी जुर्माना लगाया जाएगा।