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Israel-Iran conflict: डॉ. एस. जयशंकर की ईरानी विदेश मंत्री से बातचीत, भारत ने 4,400 से ज्यादा नागरिकों को निकाला सुरक्षित

ईरान और इस्राइल के बीच जारी तनाव के बीच भारत ने बड़ी रणनीतिक सूझबूझ के साथ अपने नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश लाने का कार्य किया।
Post Published By: Sapna Srivastava
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Israel-Iran conflict: डॉ. एस. जयशंकर की ईरानी विदेश मंत्री से बातचीत, भारत ने 4,400 से ज्यादा नागरिकों को निकाला सुरक्षित

नई दिल्ली: ईरान और इस्राइल के बीच 12 दिनों तक चले सशस्त्र संघर्ष के बीच भारत ने “ऑपरेशन सिंधु” के माध्यम से संकट में फंसे हजारों भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लौटाया। इस संदर्भ में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार को ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची से महत्वपूर्ण बातचीत की। उन्होंने बातचीत की जानकारी सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की।

डॉ. जयशंकर ने कहा कि उन्होंने ईरान से मिल रही रणनीतिक जानकारी, उनके नजरिए और क्षेत्रीय हालात की जमीनी स्थिति को गहराई से समझा। साथ ही, उन्होंने भारत की तरफ से ईरान को धन्यवाद दिया कि संकट के समय उन्होंने भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी में भरपूर सहयोग दिया।

ऑपरेशन सिंधु: एक सफल मानवीय मिशन

ईरान-इस्राइल संघर्ष के दौरान भारत सरकार ने “ऑपरेशन सिंधु” की शुरुआत की थी, जिसके अंतर्गत वहां रह रहे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए विशेष उड़ानों का संचालन किया गया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के अनुसार, अब तक 19 विशेष उड़ानों के माध्यम से 4,415 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला जा चुका है।

गुरुवार देर रात एक विशेष विमान ईरान से 173 भारतीयों को लेकर आर्मेनिया के येरेवन होते हुए नई दिल्ली पहुंचा। सरकार द्वारा चलाई गई इस मुहिम को वैश्विक स्तर पर एक सफल मानवीय राहत अभियान के रूप में सराहा जा रहा है।

ईरान-इस्राइल संघर्ष और अमेरिका का हस्तक्षेप

इस संघर्ष की शुरुआत तब हुई जब 13 जून को इस्राइल ने ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की, जिस पर अमेरिका समेत कई देशों ने चिंता जताई। तनाव के बीच 23 जून को अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर बमबारी की। इसके अगले ही दिन, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक दोनों देशों के बीच संघर्षविराम की घोषणा की।

हालांकि, यह संघर्षविराम ज्यादा देर तक टिक नहीं सका और दोनों देशों ने एक-दूसरे पर उल्लंघन का आरोप लगाते हुए फिर से हमले शुरू कर दिए। अंततः अमेरिका के दबाव में संघर्षविराम दोबारा लागू हुआ।

भारत की भूमिका और निष्कर्ष

भारत ने इस पूरे संकट में न तो किसी पक्ष का समर्थन किया और न ही विरोध, बल्कि एक निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया। भारतीय विदेश नीति की यही परिपक्वता रही कि हजारों नागरिकों को बिना किसी बड़े नुकसान के सुरक्षित निकाला जा सका।

डॉ. जयशंकर की बातचीत और भारत की कूटनीतिक सक्रियता ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि भारत वैश्विक संकटों में अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।

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