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IMF Meeting: आईएमएफ ने पाकिस्तान को दिया 1 अरब डॉलर का लोन, भारत ने उठाए ये सवाल

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को मौजूदा एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (ईएफएफ) के तहत लगभग 1 अरब अमेरिकी डॉलर की तत्काल किस्त जारी करने की मंजूरी दी है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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IMF Meeting: आईएमएफ ने पाकिस्तान को दिया 1 अरब डॉलर का लोन, भारत ने उठाए ये सवाल

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने शुक्रवार को पाकिस्तान को मौजूदा एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (ईएफएफ) के तहत लगभग 1 अरब अमेरिकी डॉलर की तत्काल किस्त जारी करने की मंजूरी दी। यह जानकारी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने साझा की है। हालांकि, भारत ने इस प्रक्रिया में अपनी चिंताओं को स्पष्ट रूप से सामने रखा और आईएमएफ की ओर से पाकिस्तान को दिए गए 1.3 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज की मंजूरी पर मतदान से दूरी बनाए रखी है।

आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड में 25 निदेशक विभिन्न देशों या देशों के समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो ऋण स्वीकृति जैसे मामलों को संभालते हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, भारत ने मतदान से किनारा करते हुए पाकिस्तान के वित्तीय सहायता के उपयोग में खराब रिकॉर्ड का हवाला दिया। भारत ने 9 मई को वाशिंगटन में हुई आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड की बैठक में अपनी चिंताएं जाहिर कीं। भारत ने कहा कि पाकिस्तान बार-बार आईएमएफ की शर्तों को पूरा करने में नाकाम रहा है। भारत ने एक आईएमएफ रिपोर्ट का भी जिक्र किया। भारत ने यह भी चेतावनी दी कि पाकिस्तान द्वारा प्राप्त वित्तीय सहायता का उपयोग सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए हो सकता है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।

भारत ने जताई चिंता

भारत ने अपनी चिंताओं में यह भी कहा कि पाकिस्तान की सेना आर्थिक मामलों में अत्यधिक हस्तक्षेप करती है, जिसके कारण आर्थिक सुधारों में बाधा उत्पन्न होती है। भारत ने कहा कि 1989 से पाकिस्तान लगातार आईएमएफ से कर्ज ले रहा है। पिछले 35 वर्षों में 28 साल तक पाकिस्तान ने आईएमएफ से वित्तीय सहायता ली है। 2019 के बाद से पिछले पांच वर्षों में पाकिस्तान ने चार आईएमएफ कार्यक्रमों के तहत कर्ज लिया है। भारत का तर्क है कि अगर पहले के कार्यक्रम सफल होते, तो पाकिस्तान को बार-बार कर्ज के लिए आईएमएफ के पास नहीं जाना पड़ता।

भारत ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता अप्रत्यक्ष रूप से उसकी खुफिया एजेंसियों और आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद तक पहुंच रही है, जो भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।

भारत-पाकिस्तान युद्ध के बीच हुई बैठक

गौरतलब है कि यह बयान ऐसे समय में आया है, जब हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन ‘सिंदूर’ चलाया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 पर्यटकों की जान गई थी, उसके जवाब में भारतीय सेना ने 6-7 मई की रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर हमले किए। इन हमलों में कई आतंकवादी मारे गए। इसके जवाब में पाकिस्तान ने 8 मई को भारत के सीमावर्ती शहरों पर हमले की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने इन्हें नाकाम कर दिया।

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