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कनाडा में भारतीय छात्रों के लिए वीज़ा अस्वीकृति रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। 74% अध्ययन परमिट आवेदन अस्वीकार कर दिए गए। बढ़ते वीज़ा धोखाधड़ी और धोखाधड़ी वाले आवेदनों के कारण कनाडा ने भारत के नागरिकों के लिए जांच कड़ी कर दी है।
वीजा रिजेक्ट कर रहा कनाडा
Canada: भारतीय छात्रों का कनाडा में पढ़ाई का सपना फिलहाल अधूरा रह सकता है। कनाडा सरकार ने हाल के महीनों में भारतीय छात्रों के वीजा पर लगाम कस दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अगस्त 2025 में भारतीय छात्रों के 74 प्रतिशत स्टडी परमिट रिजेक्ट कर दिए गए हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा सिर्फ 32 प्रतिशत था।
कनाडा ने यह कदम वीजा आवेदनों में हो रही बढ़ती धोखाधड़ी को देखते हुए उठाया है। खासकर भारत, चीन और बांग्लादेश से आने वाले आवेदनों में फर्जी दस्तावेज़ों और एजेंटों की धांधली के मामलों में इजाफा हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडाई इमिग्रेशन विभाग ने अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के साथ हाथ मिलाया है। इस साझेदारी के जरिए भारत और बांग्लादेश से आने वाले फर्जी विज़िटर वीजा आवेदनों की पहचान की जा रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई मामलों में एजेंटों द्वारा नकली कॉलेज लेटर और फर्जी फंडिंग डॉक्यूमेंट जमा किए जा रहे थे।
कनाडा ने अब छात्र वीजा के लिए नियम और प्रक्रिया को और कठोर बना दिया है। हर आवेदन की बारीकी से जांच की जा रही है। विश्वविद्यालयों को भी अपने एडमिशन दस्तावेज़ों और वेरिफिकेशन प्रक्रियाओं को अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं।
कनाडा में पढ़ाई के सपने को झटका
भारतीय छात्रों के लिए यह स्थिति मुश्किल इसलिए भी है क्योंकि कनाडा भारत से आने वाले छात्रों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य रहा है। 2024 तक लगभग 3 लाख भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन नए आंकड़े बताते हैं कि अब बड़ी संख्या में छात्रों के आवेदन खारिज हो रहे हैं।
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प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की सरकार इस महीने देश की नई इमिग्रेशन नीति पेश करने वाली है। सरकार पर दबाव है कि विदेशी नागरिकों की संख्या को सीमित किया जाए। खासतौर पर आवास संकट और नौकरी की कमी को देखते हुए स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ा है। कनाडा में विपक्षी दलों और कुछ स्थानीय संगठनों ने सरकार से मांग की है कि शिक्षा और वीजा सिस्टम में पारदर्शिता लाई जाए। उनका कहना है कि धोखाधड़ी करने वाले एजेंटों पर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन असली छात्रों को इसकी सजा नहीं मिलनी चाहिए।
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कई भारतीय छात्रों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि उन्होंने लाखों रुपये खर्च कर डॉक्यूमेंट तैयार किए और कॉलेजों में एडमिशन लिया, लेकिन अब वीजा मिलने की संभावना बेहद कम हो गई है।
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