Kajol: इस फिल्म से बड़े पर्दे पर वापसी कर रही हैं काजोल, चर्चा में है उनका दमदार अभिनय

फिल्म ‘मां’ के जरिए काजोल ने एक बार फिर से साबित किया कि वह अभिनय की मिसाल हैं, लेकिन फिल्म की कहानी और निर्देशन की कमियां इसे सफल थ्रिलर बनाने से रोक देती हैं।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 27 June 2025, 3:14 PM IST
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नई दिल्ली: फिल्म ‘मां’ की कहानी पश्चिम बंगाल के एक काल्पनिक गांव चंदरपुर से शुरू होती है, जहां एक ज़मींदार परिवार में जुड़वां बच्चों का जन्म होता है। बेटे के जन्म पर पूरे परिवार में खुशी का माहौल होता है, जबकि बेटी के जन्म को ‘मनहूसियत’ मानकर उसकी बलि दी जाती है। गांव की पुरानी प्रथा के मुताबिक, यह बलि दैत्य ‘मुंजा’ को शांत करने के लिए दी जाती है। फिल्म की कहानी में 40 साल का अंतराल आता है और अब उसी बेटी की मां (काजोल) अपनी दूसरी बेटी के साथ उसी गांव लौटती है, जहाँ पुरानी काली परछाइयां फिर से जाग उठती हैं।

हॉरर की बजाय थ्रिलर

फिल्म को हॉरर के रूप में प्रचारित किया गया था, लेकिन असल में यह एक थ्रिलर ड्रामा है, जो सामाजिक कुरीतियों और स्त्री-शक्ति पर केंद्रित है। फिल्म में डराने वाले दृश्य काफी कम हैं, और वे भी क्लाइमैक्स के आसपास आते हैं। यदि दर्शक जंप स्केयर की उम्मीद करते हैं, तो वे फिल्म देखकर निराश हो सकते हैं। फिल्म का मुख्य आकर्षण इसकी कहानी और उसके द्वारा दिया गया सामाजिक संदेश है, न कि पारंपरिक हॉरर।

Kajol was seen in the avatar of a goddess in the film Maa (Source-Internet)

फिल्म मां में देवी के अवतार में दिखी काजोल (सोर्स-इंटरनेट)

काजोल का बेहतरीन अभिनय

काजोल ने अपनी भूमिका में जबरदस्त प्रदर्शन किया है। मां के रूप में उनका अभिनय न केवल दर्शकों को प्रभावित करता है, बल्कि उनकी संवाद अदायगी और बेटियों के लिए उनकी लड़ाई एक नई प्रेरणा देती है। काजोल की चेहरे की प्रतिक्रियाएं और उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति इस फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष हैं। इसके अलावा, इंद्रनील सेनगुप्ता और रोनित रॉय का किरदार भले ही छोटा हो, लेकिन उन्होंने अपनी भूमिकाओं में ठोस काम किया है। फिल्म में बाल कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है, जो फिल्म में एक ताजगी लाते हैं।

कमजोर कड़ी: कहानी और स्क्रीनप्ले

हालांकि, फिल्म की स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले में कमजोरी नजर आती है। फ्लैशबैक और वर्तमान के बीच संतुलन बनाने में कठिनाई होती है, और यही कारण है कि फिल्म में कई बार दोहराव महसूस होता है। कहानी में कुछ नयापन नहीं है और जैसे-जैसे फिल्म क्लाइमेक्स की ओर बढ़ती है, दर्शक थकने लगते हैं और फिल्म का उत्साह कम हो जाता है। यह फिल्म ‘शैतान’ जैसी फिल्मों के स्तर से मेल नहीं खा पाई।

संदेश और प्रतीकात्मकता

फिल्म में काली स्वरूप का प्रतीकात्मक इस्तेमाल किया गया है, जो इस बात को दर्शाता है कि एक मां अपनी बेटी के लिए लड़ते हुए देवी का रूप ले सकती है। यह संदेश फिल्म का सबसे मजबूत और प्रभावशाली पक्ष है, जिसे दर्शकों ने सराहा है।

फाइनल वर्डिक्ट

‘मां’ एक अच्छी मंशा से बनाई गई फिल्म है, लेकिन स्क्रिप्ट और निर्देशन की कमियों के कारण यह पूरी तरह से प्रभावित नहीं कर पाती। काजोल के अभिनय और सामाजिक संदेश के कारण इसे एक बार देखा जा सकता है, लेकिन अगर आप हॉरर फिल्म की तलाश में हैं, तो आपको निराशा हो सकती है। फिल्म की कमी इसके कमजोर स्क्रीनप्ले और ढीले निर्देशन में है, जिसे और बेहतर तरीके से पेश किया जा सकता था।

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