Patna: बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान से पहले चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है और अब उम्मीदवार घर-घर जाकर मतदाताओं से वोट की अपील कर रहे हैं। 11 नवंबर को बिहार के 20 जिलों की 122 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। इनमें से 14 सीटें ऐसी हैं, जो राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी हैं।
सीमांचल और मगध में निगाहें
इन सीटों में सीमांचल और मगध क्षेत्रों की प्रमुख भूमिका है। यहां के सामाजिक समीकरण, दलबदल और स्थानीय नेताओं की ताकत चुनाव का स्वरूप तय कर सकती है। गोविंदगंज (पूर्वी चंपारण) में 2020 में बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की थी। कांग्रेस इस बार अपनी पुरानी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करेगी, जबकि बीजेपी आत्मविश्वास बनाए रखना चाहती है।
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मुस्लिम वोटों की चुनौती
जोकीहाट (अररिया) में राजद और AIMIM के बीच पारंपरिक मुस्लिम वोटों की जंग देखी जाएगी। सरफराज आलम और AIMIM की उपस्थिति इस सीट को सीमांचल की सबसे चर्चित सीट बनाती है। वहीं कड़वा (कटिहार) कांग्रेस के लिए मुस्लिम समुदाय में आधार बनाए रखने की चुनौती पेश करता है।
दलबदल और स्थानीय नेतृत्व
रूपौली (पूर्णिया) और धमदाहा (पूर्णिया) सीटें दलबदल और स्थानीय नेतृत्व की परीक्षा हैं। पूर्व विधायक बीमा भारती के जेडीयू से आरजेडी में शामिल होने के कारण रूपौली में मुकाबला महत्वपूर्ण हो गया है। धमदाहा जेडीयू और मंत्री लेसी सिंह का गढ़ माना जाता है, और महागठबंधन इसे जीतकर सीमांचल में पकड़ बढ़ाने का प्रयास करेगा।
मगध और भागलपुर की रणनीति
कहलगांव (भागलपुर) में राजद और कांग्रेस की पुरानी प्रतिस्पर्धा जारी है। सुल्तानगंज (भागलपुर) में जेडीयू की अर्ध-शहरी पकड़ इसे एनडीए के लिए अहम बनाती है। नवादा और चकाई (जमुई) जैसी सीटें भी गठबंधन की ताकत और व्यक्तिगत लोकप्रियता की कसौटी पर खड़ी हैं।
महादलित और विशेष प्रभाव
इमामगंज और बाराचट्टी (गया) में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और जीतन राम मांझी का प्रभाव महादलित वोट बैंक पर निर्णायक होगा। यह तय करेगा कि एनडीए गठबंधन में महादलित वोटों का विभाजन किस तरह से परिणाम प्रभावित करता है।
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अगली सरकार की दिशा तय करेंगी ये सीटें
इन 14 सीटों का परिणाम बिहार की अगली सरकार की दिशा और आकार तय करेगा। सीमांचल और मगध के सामाजिक समीकरण, दलों की पकड़ और स्थानीय नेताओं की ताकत चुनाव के नतीजे तय करने में निर्णायक भूमिका निभाएगी।

