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गोरखपुर: मासूम का अपहरण, मौसेरे भाई की करतूत से हिला गोरखपुर, पुलिस ने कुछ ही घंटों में ऐसे खोला राज

गोरखपुर में मनौती करने आए मासूम का अपहरण से हड़कंप मच गया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
गोरखपुर: मासूम का अपहरण, मौसेरे भाई की करतूत से हिला गोरखपुर, पुलिस ने कुछ ही घंटों में ऐसे खोला राज

गोरखपुर: तरकुलहा देवी मंदिर में दर्शन को आया एक परिवार उस वक्त सन्न रह गया जब उनका मासूम बच्चा अचानक लापता हो गया। लेकिन जो खुलासा हुआ, उसने सभी को झकझोर कर रख दिया – मासूम के अपहरण के पीछे उसका ही मौसेरा भाई निकला!

डाइनामाइट न्यूज़ रिपोर्ट अनुसार घटना 21 मई की है। वादी अपने बेटे को लेकर मनौती करने तरकुलहा देवी मंदिर आया था। दोपहर करीब 3 बजे बच्चा अचानक गायब हो गया। परिजन उसे इधर-उधर ढूंढ ही रहे थे कि तभी वादी के मोबाइल पर एक कॉल आई – “तेरे बेटे को किडनैप कर लिया है, अगर जिन्दा देखना है तो शाम 6 बजे तक 2.5 लाख रुपये लेकर तैयार रहो!”

परिजन सन्न रह गए। मामले की सूचना तुरंत चौरी चौरा थाने को दी गई। पुलिस ने मुस्तैदी दिखाई और राज करन नैय्यर एसएसपी गोरखपुर के निर्देश पर एक स्पेशल टीम गठित की गई।

जांच में सामने आया चौंकाने वाला सच

पुलिस की सख्त पूछताछ और इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस से पता चला कि इस पूरे अपहरण की साजिश बालक के मौसेरे भाई पीयूष सिंह ने रची थी। उसके साथ नेहा साहनी और अभिषेक सिंह भी शामिल थे।

योजना के मुताबिक, पीयूष लगातार वॉट्सएप के जरिये अपने साथियों को पुलिस और परिजनों की हर गतिविधि की खबर देता रहा। भरोसे में लेकर वह फिरौती की रकम 1 लाख रुपये लेकर भागा, जो बाद में पुलिस ने बरामद कर ली।

पुलिस की तेजी से टूटी साजिश की कमर

वरिष्ठ अधिकारियों के पर्यवेक्षण में चौरी चौरा पुलिस ने नाकेबंदी कर कुछ ही घंटों में पीयूष सिंह और नेहा साहनी को दबोच लिया। उनके कब्जे से व्यपहृत बच्चा सकुशल बरामद कर परिजनों को सौंप दिया गया।घटना में प्रयुक्त एक मोटरसाइकिल, दो मोबाइल फोन और फिरौती की रकम 1 लाख रुपये भी पुलिस ने बरामद कर ली। तीसरा आरोपी अभिषेक सिंह अभी फरार है, जिसकी तलाश जारी है।

पुलिस टीम को 25 हजार का इनाम

राज करन नैय्यर एसएसपी गोरखपुर ने डॉ. इराज राजा ने घटना का सफल अनावरण करने वाली चौरी चौरा पुलिस टीम को 25,000 रुपये का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की। टीम में मुख्य रूप प्रभारी निरीक्षक वेदप्रकाश शर्मा के नेतृत्व में बनी इस टीम में 13 जांबाज़ पुलिसकर्मियों ने हिस्सा लिया, जिनमें महिला कांस्टेबल भी शामिल थीं।

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